नया क्या?

गुरुवार, 15 अगस्त 2013

मुझसे होगी शुरुआत!

यह गीत एक प्रतियोगिता के लिए लिखा और संगीतबद्ध किया था. इस स्वतंत्रता दिवस पर सबको उम्मीद है एक बदलाव की और वो बदलाव की शुरुआत खुद से होगी.

सब ओर है भ्रष्टाचार की बात
देश को जकड़े जिसके दांत
आओ अब सब कहें
मुझसे होगी शुरुआत!

लूटा है नेताओं ने देश तो क्या?
बदला है सच्चाई ने भेष तो क्या?
उठा यह नेकी का पुलिंदा तू
दहाड़ दे भ्रष्ट कानों में तू
अब हम भी लगा बैठे हैं घात
बोल! मुझसे होगी शुरुआत!

महंगाई की ये मार हम पर क्यों?
भ्रष्टों को खुली, आज़ाद हवा क्यों?
दृढ़ को निश्चित कर ले तू
डिगा दे हर गद्दार को तू
अब दे देंगे हर पापी को मात
बोल! मुझसे होगी शुरुआत

गूंगों को इन्साफ मिला है कब?
बिन बोले सुकूं से मरा है कब?
उँगलियों की मुट्ठी बना ले तू
राजाओं की गद्दी हिला दे तू
न रंग, न धर्म और न जात
बोल! मुझसे होगी शुरुआत
हाँ! मुझसे होगी शुरुआत!


इस संगीतमय कविता का विडियो भी आप देख सकते हैं (राजा पुंडलिक अंकल का धन्यवाद इसके लिए)

और केवल ऑडियो भी सुन सकते हैं!


स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं!