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शनिवार, 31 दिसंबर 2011

प्यार में फर्क

दिवाली का दिन था और विशेष अपने कॉलेज से घर छुट्टी पर आया हुआ था..
ठण्ड भी बढ़ रही थी और इसलिए विशेष के पिताजी अपने लिए एक जैकेट ले कर आये थे...
विशेष ने जैकेट देखा तो उसे खूब पसंद आया और वह बोल उठा - "वाह पापा! यह तो बहुत ही अच्छा जैकेट है |"
इतना बोलना था कि पिताजी तुरंत बोले - "अगर तुम्हें पसंद हो तो तुम रख लो, मैं अपने लिए और ले आऊंगा |"

यह किस्सा यहीं समाप्त हो गया और कई साल बीत गए...

विशेष अब नौकरीपेशा और शादीशुदा आदमी हो चुका था.. माता-पिता साथ ही में रहते थे..

एक दिन वह अपने लिए कुछ शर्ट्स ले कर आया और उन्हें सबको दिखा रहा था कि एक शर्ट को देख कर पिताजी बोल उठे - "वाह! यह शर्ट तो बेहद स्मार्ट लग रहा है |"
और विशेष तुरंत बोल उठा - "पापा, अगर आपको यह पसंद है तो मैं आपके लिए ऐसा ही एक और शर्ट ले आऊंगा जल्द |"

रात को अपने आराम-कुर्सी पर बैठे पिताजी को वो दिवाली वाली बात याद आ गयी और उन्हें इस बात का एहसास हो गया कि जो प्यार माँ-बाप अपने बच्चों को देते हैं, वैसा ही प्यार बहुत ही कम बच्चे अपने माँ-बाप को लौटा पाते हैं.. प्यार में फर्क हो ही जाता है...

पर वह खुश थे कि इस ज़माने में भी उनका बेटा उन्हें कम से कम मना तो नहीं कर रहा है और इसी खुशी में वो नींद की आगोश में खो गए...