नया क्या?

शुक्रवार, 11 मार्च 2011

चलती दुनिया

उसकी अपने-आस पड़ोस और दोस्तों से बहुत बनती थी..
वह सबको खूब प्यार देता और बदले में लोग भी उसे उतना ही सम्मान और प्यार देते..
जिंदगी बहुत ही खूबसूरत और पूर्ण लग रही थी..
धीरे-धीरे वह अपने शहर, राज्य, देश और दुनिया में भी बहुत लोकप्रिय हुआ..
वह लोगों के दिल की धड़कन बन गया था और बहुत खुश था..

उसे लगता कि लोग उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हैं और लोग थे भी..
कभी-कभी अहम की भावना आ जाती और लगता कि उसके बिना ये दुनिया चल ही नहीं सकती..

और एक दिन उसकी घड़ी रुक गयी.. जिंदगी खत्म, झटके में..
हाहाकार मचा.. लोग बिलखने लगे.. दो दिन तक लोगों का तांता लगा रहा उसके घर के सामने..
चाहने, न चाहने वाले लोग आते और रोते..
मोची से लेकर नेता, सब ग़मगीन... एक दिन का राज्य-शोक रखा गया..

२ दिन बाद लोग अपने दफ्तर जा रहे थे, मोची जूते सुधार रहा था, नेता देश लुटा रहा था, गृहणियां घर-घर खेल रही थीं..
३ दिन बाद सब अपनी मस्ती में मस्त और अपने गम में दुखी थे..

वह चल बसा... दुनिया अपने रंग में चलती रही.. और उसकी उस सोच पर हंस रही थी कि उसके बिना दुनिया नहीं चल सकती..