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बुधवार, 2 जून 2010

एक दृढ़ फैसला?

मोहित एक सर्वगुण और सम्पूर्ण परिवार का लाडला बेटा था | बड़ा भाई डॉक्टर बन गया था और बड़ी बहन भी अपनी पढ़ाई पूरी कर के अपने ससुराल जा चुकी थी | मोहित पिछले ५ सालों से बाहर ही था और अपनी पढ़ाई ख़त्म करके वो वापस घर आया था |

मोहित में बदलाव ज़बरदस्त था और उसके सोचने-समझने-परखने की शक्ति लाजवाब हो गयी थी | कॉमर्स लेकर पढ़ने के बाद भी उसका रुख अपने देश, अपनी मातृभूमि के लिए कुछ कर गुजरने का था | वह केवल बोलना और सुनना नहीं चाहता था.. कुछ करना भी चाहता था | कुछ अनुभवी लोगों से विचार-विमर्श करके उसने एक फैसला लिया.. एक दृढ़ फैसला |

घर आया और माँ-पिताजी को कहा, "मैं देश के लिए काम करना चाहता हूँ, मैं राजनीति में जाना चाहता हूँ" ... इतना कहना था कि पिताजी आवेश में आ गए और कहा कि यह शब्द और सोच अपने ज़हन से निकाल दो.. हमने तुम्हे इसलिए नहीं पढ़ाया है कि तुम इस गन्दगी में पैर रखो.. शादी करके घर बसाओ और शान्ति से रहो.. समाज-सेवा करने के लिए और भी लोग हैं.. राजनीति में मेरी लाश पर चढ़कर ही हिस्सा लेना..

मोहित फटा सा देखता और सुनता रहा.. सोचा कि सफाई सबको चाहिए पर भगत सिंह तो पड़ोस से ही हो.. वह अपने निश्चय की दृढ़ता पर सोचता हुआ अपने कमरे में आ गया और इस तरह एक भावी, शिक्षित और युवा राजनेता का क़त्ल हो गया..