नया क्या?

शुक्रवार, 28 नवंबर 2008

A Young India, A Rising India

इस पोस्ट को केवल वही लोग पढ़ें जो उम्र से नहीं पर दिल से जवान है - एक जवान भारत को बुजुर्गियत का चोगा अब उतारना होगा !!! जवानी सर पर है और इसमें केवल जवान दिल और मन का ही प्रवेश है !!! बाकी सबको प्रवेश वर्जित है !!!

क्या सब सो रहे हैं ? क्या देश अभी और भी कुछ देखना चाहता है ? क्या कुछ और भाइयों, बहनों, माँ, पिता... की लाश बिछने के बाद ही हम इस चिर-निद्रा से जागेंगे ? क्या देश के उस शहर में ये सब कुछ देखने के बाद आप जागेंगे जहाँ आप फिलहाल चैन की साँस ले रहे है ?

कुछ इन्हीं सब सवालों की बौछार कुछ लोगों के मन को टटोल रही है | यह मैं लोगों के Gtalk "Status Message" से तो समझ ही सकता हूँ | हर जगह लोग बस यही जानना चाहते हैं कि अब मुंबई में क्या हो रहा है ? कितने मरे, कौन से होटल में आतंकवादी घुसे, कितना बड़ा आदमी शहीद हुआ | सब एक आम-जनता की तरह, हर दिन का पेपर उठाती है, टीवी खोलती है, इन्टरनेट पर पढ़ती है | सब कुछ आज भी आम सा ही लग रहा है | कुछ अलग नहीं करना चाहते लोग ? या फ़िर कुछ कर नहीं पा रहे हैं ? पता नहीं शायद पहला सवाल ज़्यादा सही लग रहा है |

हम अलग करने के नाम पर हम "अपने" अच्छे नम्बर लाने पर आतुर रहते हैं, "अपने" व्यवसाय में कुछ नया करना जानते है, "अपने" दोस्त सभी से हटकर हों - यही कोशिश करते है, "अपना" घर अलग सा हो - सबका यही सपना है | यह अपने से इतना अपनापन सभी को रास आता है | सब अपने लिए जी रहे थे,हैं और शायद जीते भी रहेंगे | सबको अपना नाम, काम और दाम की बहुत चिंता है |
और हो भी क्यों ना ? किसी और ने आपके लिए क्या किया है ? किसी और ने कभी आपके लिए 2/- भी खर्च नहीं किए हैं तो फ़िर आप उनके लिए किस मुंह से ये सब काम करें ? बात में ग़लत कुछ भी नहीं है - जैसे को तैसा |
पर कभी सोचा है, आपके सामने एक छोटा सा बच्चा गिड़गिड़ाता हुआ आपसे दो घूँट पानी मांग रहा है - ज़िन्दगी के और आपने यह सोचकर की कोई भिखारी को पानी क्यों पिलाएं, उसे दुत्कार दिया हो ?
क्या कभी सोचा है, आपके सामने एक लड़की हाथ फैलाए हुए अपने इज्ज़त की भीख मांग रही हो क्योंकि उसके पीछे कुछ निहायती गिरे हुए इंसान...नहीं नहीं इंसान नहीं..हैवान लगे हुए हैं..और आपने यह सोचकर कन्नी काट ली कि मेरी बहन थोड़े ही ना है जो मैं ज़बरदस्ती इस पचड़े में पडूँ |

नहीं साहब/साहिबा यह सब बातें कौन सोचता है ? किसके पास इतना समय है - "U know todays world is competitive...U need to b fast..U need to utilise your time..I am busy..." शायद यही वाक्य आज का सबसे सफल बहाना बन गया है कोई काम ना करने का | अरे बातें तो मैं भी इतनी नहीं सोचता पर जब मुंबई जैसी जगह में बेखौफ हमले हो सकते हैं और वो भी इतने उत्कृष्ट जगहों पर, तो दिल दहल कर यह सब बातें सोचने पर मजबूर हो ही जाता है | शायद कुछ और लोगों का मन भी यह सोच रहा है | शरीर गुस्से और बदले की भावना से भर गया है पर एक मिनट, यह गुस्सा किसके लिए ? बदला किस से लेना है ? साहब/साहिबा आप तो यह तक नहीं जानते की कौन आपके बाजू में रहता है और आप कुछ ऐसे लोगों से बदला लेने चले हैं जिनका अता-पता तो पुलिस भी नहीं लगा पा रही है ?

यह हम इंसानों में बड़ी त्रुटी है...बड़ी ऊँची-ऊँची सोचेंगे, ऊँची-ऊँची फेकेंगे और जब समय आएगा उतना ही बड़ा पिछवाड़ा दिखाकर कहीं छुपकर भागेंगे | साहब सोचना है तो अपने आस-पास के बारे में सोचिये | अगर हर इंसान अपनी छोटी सी दुनिया को जन्नत बनाने की "कोशिश" भर भी करे तो शायद किसी अनजाने से बदला लेने की नौबत ही नहीं आएगी |

पता नहीं इतना बड़ा पोस्ट कौन पढेगा | साहब टाइम किसके पास है ? सब अपनी ज़िन्दगी में मस्त हैं पर अगर थोड़ी सी "कुछ अलग करने" की प्रवृत्ति से कुछ और लोगों की ज़िन्दगी मस्त हो जाए तो कोई हर्ज़ है क्या ?

लोगों के Status Message से तो लग रहा है की अब भारत जाग रहा है :

indians desperately need super-heroes...........


tough tym for both..... me n INDIA

I hope that this is the worst and last....Now its our turn

terror attacks again in mumbai....wat d hell is happening

Now 'Financial capital' at gunpoint

Hotel Oberoi attacked, Colaba petrol pump blown up...Mumbai...how safe?


लोग वाकई में कुछ करना चाहते हैं | अब लोग केवल अहिंसा से कुछ निर्बल लोगों को जवाब नहीं देना चाहते | अहिंसा और ग़दर का सही मिश्रण ही अब आतंकवादियों को मिटा सकता है जो कि आज के युवा वर्ग के लोगों में भरपूर नज़र आता है | किया तो मैंने भी आज तक कुछ नहीं है - यह सब सोचने के अलावा | पर कुछ करना ज़रूर चाहूँगा - अपने सुधार के लिए, इस देश के सुधार के लिए, पूरे विश्व के सुधार के लिए |

"अब आँखें खुली रख कर दिन में ही सपने देखने का समय आ गया है |"


इस जोशीले युवा-वर्ग को साथ मिलकर "लडकियां और लड़कों के बातों" के अलावा इन सब विषयों पर भी साथ मिलकर चर्चा करनी पड़ेगी जो की वाकई में एक उत्साहवर्द्धक कदम होगा |
अब धीरे-धीरे भारत जागेगा | जब हम कुछ थोड़े बहुत पढ़े-लिखे लोग जागेंगे तभी हम बाकी लोगों को जगा सकेंगे | ज़रूरत पहले इस जवान भारत को जागने की है - "It is the most ripe time to buid up A Young India, A Rising India"

शायद यह पोस्ट एक परिचर्चा में बदल जाए जहाँ सभी young लोग अपने-अपने विचार रखेंगे - एक सपने को सच में बदलने के लिए | ज़रूरी है जोश को बरकरार रखने का, सक्रीय और कार्यशील रहने का |

आपसे आग्रह है कि "A Young India, A Rising India" के लिए अपने विचार सभी के साथ इस पोस्ट के ज़रिये बाँटें | एक सफल परिचर्चा ही अब इस भारत को महाशक्ति बना पाने में सफल हो सकता है |
अपने दोस्तों से कहें कि वो भी अपने ideas हम सभी के साथ share करें |

भारत जाग रहा है - इस जागते भारत के चाँद, सूरज, सितारे बनें और इस विश्व को रोशन करें |
"India is Rising and the Rise is Young" - "AYoung India, A Rising India"
...
पढने लायक - हम अभी कहाँ हैं ?

शुक्रवार, 21 नवंबर 2008

बचपन से बुढ़ापा - Psenti Special

**** यह कविता काफ़ी लम्बी है [:)] | यह जानकारी उन लोगों के लिए है जो यह सोचकर ब्लॉग पढ़ रहे हैं कि शायद एक छोटी सी कविता आपके समक्ष होगी |पर आपको काफ़ी संयम के साथ इसका पठन करना पड़ेगा | यह अलग से नोट मैंने कुछ लोगों की टिपण्णी के बाद डालने का विचार किया | आशा है आप में वो संयम अवश्य होगा जो मुझे भी रखना पड़ा था यह कविता बुनते वक्त - "3 घंटे " | अपनी ज़रा सी मेहनत पर आपकी छोटी टिप्पणियाँ काफ़ी उत्साहवर्द्धक होंगी | - धन्यवाद

अब वक्त आ गया है जब कुछ लोग बिछड़ जाएँगे हमसे ,
पर बिछड़ने का दुःख, मिलने के सुख से कहाँ है बड़ा..
हम बस यही कहते हैं आपसे ,
ज़िन्दगी का उसूल है ये - "जो ना बिछड़ा वो कहाँ मिला"

साल - 1
यह साल है उस नन्हें बचपन की,
जब ज़िन्दगी की शुरुआत हुई..
दिल हिलोरे मारने पर मजबूर था,
और यह देखो !!!
कॉलेज की शुरुआत हुई..
अरे भाईयों (और उनकी बहनों)
ये विंग का खेला क्या होता है,
साईडी और रूमी किसका तोता है ?
सुबह-सुबह इनका दिन होता है,
रात 10 बजे तक हर विंग सोता है..
क्लास जाना चाहिए बराबर,
नहीं तो कम आएँगे नम्बर..
सुना है RAF में फिल्में दिखाते हैं,
150 रूपए में 24 आते हैं ? ? ?
बॉस्म किस खेल का नाम है ?
अरे नहीं यह तो खेलों का सुल्तान है..
ओएसिस में घर चलते हैं,
नहीं रे, रुक ना..मस्ती करते हैं..
दिवाली यहाँ सूनी-सूनी सी,
घर की याद दिला गई..
फ़िर खाना इतना माशा-अल्लाह,
अच्छे-अच्छों की तंगी आ गई..
Tuts,Tests और Lab तो हैं बस li8 रा,
Compree में पूरी निकल गई है इनकी हवा..
जैसे तैसे इसे निकाला, चले हैं घर को झूम के..
ये देखो इस बचपन का रंग,
कॉलेज के दिन हैं नूर से..
दूसरा सेम मतलब ठंडा-ठंडा कूल कूल,
ये सुहावना मौसम है "So Wonderful"
अब थोडी बिट्सियनगिरी आई है इनमें,
जागते हैं रातों में और सोते हैं दिन में..
Founder's Day, Inbloom और APOGEE हैं नए अखाड़ी,
लो साहब वो आते हैं जोशीले नए खिलाडी..
अब तापमान यहाँ का और प्रॉफ्स का भी बढ़ रहा है,
जो की बदन पे कपडों से और पपेरों में नंबरों से साफ़ झलक रहा है..
किसी तरह भाग छूटें इस कारागार से,
सबकी यही दुआ है परवर-दिगार से..
और यूँ ही ख़त्म हो गया पहला साल,
Wings टूटी हैं अब जाना है सबको अपने-अपने द्वार..
वो जोश, वो तरंग, वो उमंग अब ठंडा पड़ चुका है,
और कॉलेज का बचपन समाप्त हो चुका है ||

साल - 2
ढाई महीने की लम्बी छुट्टी के बाद,
घर से कॉलेज का बजाया है शंख-नाद..
फ़िर से नए भवनों का मज़ा लेने आए हैं [लड़कियां मैं क्षमा चाहता हूँ इस मामले में]
कंप्यूटर/लैपटॉप भी साथ लाए हैं..
अरे ये देखो इस बार क्या हुआ !!!!
कॉलेज का यौवन हम पर सवार हुआ..
जो हुआ करते थे अपने बचपन में सबसे शरीफ,
आज हर प्रॉफ को उसी की तलाश है,
जो लिखा करते थे पेपर में कलम तोड़-तोड़ कर,
आज उन्हीं के पेपर सबसे साफ़ हैं..
अब तो C'not और नूतन पे डेरे जमते हैं,
मय के प्यालों के फेरे पड़ते हैं..
RAF में लोगों का कंगाला पड़ा है,
भला क्यों ना हो ? सबके कमरे में एक डब्बा जो गड़ा है..
अब लेक्चर जाने का बस एक ही मकसद रह गया है,
किसी पे दिल, crush जो कर गया है..
क्लब/डिपार्टमेन्ट तो जैसे बल्ले-बल्ले ,
पढ़ाई-लिखाई li8 ले li8 ले ..
Test और Tut के लिए रात [बिट्सियन "दिन" पढ़ें] को शुरू होती है पढ़ाई,
सुबह सबने मिलकर हाय-तौबा मचाई..
सभी खेलों और इवेंट्स में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है,
मानो पूरा जंग जीत लिया है..
बस यूँ ही सो-सो कर ज़िन्दगी को sac-out कर लिया है,
और किसी तरह 2nd इयर पार किया है..
तो खत्म हुआ gen tp वाला अनूठा साल,
ये यौवन ना आएगा फ़िर से एक बार ||

साल - 3
कमर कसकर तैयार हो जाइये,
जहाँ पनाह घोटू महाराज, घोटुओं के सरताज पधार रहे हैं..
पता है यह सबसे ख़ास साल है इनके लिए,
क्योंकि इसी से इनकी भावी ज़िन्दगी का सफर जुड़ा है
अब क्लास जाने का मतलब है पढ़ाई,
टाइम ख़राब करने वालों को बाई-बाई..
CDC में खूब नम्बर जमाए हैं,
पर कुछ तो अब भी av - ही ला पाए हैं..
Lab,Test और compree में है जीवन निकाला,
जिस तरह शादी करने के बाद निकलता है लोगों का दिवाला..
अब तो रात दिन एक से लगते हैं,
केवल पढ़ना है सब यही कहते हैं..
सभी ने जी भर के दी है प्रॉफ्स को बद्दुआ..
तो इस तरह गृहस्थ आश्रम खत्म हुआ..

साल - 4
अब आया है वो सेम जिसे लोग psenti कहते हैं,
क्या वाकई में लोग इसमें इतने senti होते हैं ?
ज़िन्दगी में जैसे एक भूचाल सा आया है,
क्यों नहीं ? पिछले 3 साल का फल यहीं तो पाया है..
नियम बनाया है की हर दिन आना है मन्दिर में फेरे देकर,
और प्लेसमेंट में बैठना है हर प्रॉफ का नाम ले कर..
जब जॉब लगने का "गुड न्यूज़" सुनाया है,
तो bumps, treat और बधाई का पात्र कहलाया है..
अब तो बुढापे में जवानी का जोश आया है,
ये फ़िर से बिट्सियन पद्दति पर आया है..
रात भर जग कर फिल्में देखना,
और दिन में दोस्तों के साथ खूब मटर-गश्ती करना..
बस अब ज़्यादा दिन नहीं बचे हैं इस ज़िन्दगी के,
बुढापा अपना रंग दिखाने लगा है हर किसी पे..
घंटों फ़ोन पर बातें करते हैं,
और शायद किसी से दिल की बात भी कहते हैं..
Farewell के दिन जब नज़दीक आते हैं,
तो इनके status message बड़े दुखद हो जाते हैं..
लोग buzz कर के हाल-चाल पूछते हैं,
और ये ग़मों भरा reply भी देते हैं..
खैर हम क्या जाने इनके दिल का हाल,
अभी तो बाकी है हमारा एक साल..

बस यादों के ज़रिये जीना सीख रहे हैं ये सब,
उन हसीं पलों को साथ रखोगे कब तक ?
पुरानी फोटो और विडियो देख कर दिल भर आता है,
और जब और सह ना सके तो आंसू मोती बन जाता है..
क्या पता कहीं अकेले में भी बैठ कर सिसकते होंगे,
इन सब चीज़ों को पकड़ने की नाकाम कोशिश करते होंगे..

आप सभी को इस नाचीज़ का सलाम,
बस इससे ज़्यादा क्या कहें आपके नाम..
अगर इसे पढ़कर आपका दिल भर आया है,
अगर इसे पढ़कर यादों का पुल बाँध को तोड़ आया है,
अगर इसे पढ़कर किसी का ख्याल दिल में आया है,
तो सही मायनों में आप senti हैं,
आपने वाकई में बिट्सियन ज़िन्दगी को जिया है,
नहीं तो आपने काफ़ी कुछ Miss किया है..
क्या पता कल मैं भी इसी तरह किसी का ब्लॉग पढ़ रहा होऊंगा,
और मन-ही-मन उस जूनियर को धन्यवाद दे रहा होऊंगा..
जिसने अपने सीनियर्स के नाम यह कविता बनाई है,
आशा करता हूँ यह आपको पसंद आई है..

अगर सही में अच्छी लगी हो यह कृति,
तो जाते-जाते बस दे जाइये एक टिपण्णी ||

मंगलवार, 18 नवंबर 2008

जहाँ लोग ये, वहां हम वो

उफ्फ आखिरकार मैं खुली हवा में फ़िर से साँस ले रहा हूँ...लेकिन खुश होने की इतनी ज़्यादा बात नहीं है, 2 दिन बाद फ़िर से कुछ दिनों के लिए ब्लैक-आउट हो जाएगा | खैर आप तो जाने ही दीजिये इन सब फिजूल की बातों को....खुशी की बात यह है कि आज बहुत दिनों बाद ब्लॉग करने का मौका मिला है | क्या करुँ समझ नहीं आ रहा है | दिमाग में यूँ कहें की या तो बहुत सी बातें दौड़ रही हैं या फ़िर दिमाग में केवल गाय का चारा भरा रह गया है |
बिट्स में आ कर तो बहुत अच्छा लगा था पर तीसरे साल में पहुँचते ही काफ़ी लोगों को "बिट्स में आना" अपनी "3 Mistakes of My Life" में से एक लग रहा है | मैं समर्थन करता हूँ पर गहराई में जाएं तो मैं संसद भवन के विपक्षी दल की तरह आप पर गाज गिरा सकता हूँ |

आज दिल में ख़याल आया की इन सब भारी भरकम सिलेबस, किताब, ट्युट्स, टेस्ट्स, लैब्स और भी ना जाने क्या क्या चीज़ों के नीचे दबे हुए इस संसार के कुछ परेशान आदम-खोर [यहाँ आइये साहब सबके बढे हुए जुल्फों को देख कर आप भी यही कहेंगे] अगर इन सब दबाव के नीचे अगर कुछ सकारात्मक सोच रखें तो ज़िन्दगी उतनी दर्दनाक [सही शब्द है ना अभी के हालात के मुताबिक ??] नहीं रह जाएगी |
क्या कभी सोचा है कि ज़िन्दगी जो केवल परीक्षाओं का खेल है, आगे हमारे लिए कितनी आसान हो जाएगी ?

1. कंपनी में लोग यह देख कर परेशान रहेंगे की हम बिट्सियन प्रेजेंटेशन, प्रोजेक्ट वगैरह-वगैरह से तनिक भी चिंतित नहीं रहते हैं | आलम यह रहेगा - "अच्छा प्रतीक, कल यह प्रेजेंटेशन देना है..हो जाएगा ?" और हम कहेंगे - "क्या सर ? बस एक ही है ?..नहीं करेंगे !!!!! हमारी आदत एक साथ कम से कम दो टेस्ट, प्रेजेंटेशन, प्रोजेक्ट देने की है | खैर, लाइट रा ! हो जाएगा |"

2. जब ऐसी जगह पहुँच जाएं की हमारी पूरी टीम खाने से परेशान है तो हम यही कहेंगे - "क्या बात कर रहे हो ? यह खाद्य तो बिल्कुल खाने योग्य है | कम से कम यह तो समझ में आता है की क्या खा रहे हैं | पिलानी में 4 साल रहकर भी यह नहीं जान पाएं हैं की भिन्डी और आलू के अलावा मेस में क्या-क्या खाया है | इसलिए मस्त हो जाओ और चुप-चाप इतना beautiful [हम खाने को उसकी खूबसूरती से रेट करते हैं, ना कि स्वाद से] खाना खाओ |"

3. जब ऐसी जगह पहुँच जाएंगे जहाँ लोग ठण्ड के कारण काम ना करने का बहाना बना रहे हों, वहीँ हम पूरे जोश के साथ नाईट-आउट मार रहे होंगे और सफलता की सीढियां चढ़ रहे होंगे | जब लोग गर्मी से परेशान ए.सी. और पंखों की तलाश में भटक रहे होंगे वहीँ हम मटक-मटक कर अपने काम को बेधड़क बिन भटके कर रहे होंगे |

4. जब हमारे आस-पास के लोग यह शिकायत जता रहे होंगे कि यहाँ तो बर्ड-वाचिंग भी नहीं कर सकते वहीँ हम, जिनका स्तर शून्य से कहीं नीचे जा चुका है, नयन सुख प्राप्त कर रहे होंगे |

5. जहाँ लोग यह कहकर परेशान होंगे की उनका पारिश्रमिक [salary] बहुत कम है वहीँ हम एक चूसे हुए आत्मा की तरह बहुत ही संतुष्ट रहेंगे क्योंकि साहब अब जिसको zuc,1,2,3,4....की आदत हो गई है, वो बेचारा क्यों फोकट में आंसू बहाएगा ?

6. जहाँ लोगों को कंपनी में इन्टरनेट की स्पीड पर आपत्ति होगी वहीँ हम कहेंगे - "अरे, पप्पू खुश रह नहीं तो तुझे बिट्स ले जाऊंगा जहाँ दिनों-दिनों तक लोग बिना इन्टरनेट के भी जीवित रह सकते हैं - क्योंकि वहां लोगों को जीना आता है |"

7. जहाँ लोग एक दिन नहीं नहाने पर अपने शरीर के दुर्गन्ध से मारे जाएँगे वहीँ हम बिट्सियन पता नहीं कितने मासूमों को अपनी ना नहाने की आदत से उनको दुनिया से रुखसत कराएँगे |

8. जहाँ लोगों को 1 कि.मी. चलने के लिए भी स्कूटर की ज़रूरत पड़ेगी वहीँ हम 10-10 कि.मी. तो यूँ ही पैदल नाप आएँगे |

9. जहाँ लोगों को "Oberoi's" का खाना भी पसंद नहीं आ रहा होगा वहीँ हम रास्ते में आए ढाबे को भी "Taj" का ओहदा दे जाएंगे |

10. जहाँ लोग पुणे-मुंबई हाईवे पर 2 घंटे के सफर के बाद फुस्स हो जाएँगे वहीँ हम पूरा बिहार सड़क पर तय करने के बाद कहेंगे - "दिल्ली से पिलानी चलें ? "

11. जहाँ रात को तीन बजे लोग अपने घर में चूल्हे पर चाय बना रहे होंगे, वहीँ हम अपने दोस्त से कहेंगे - "चलें एक कटिंग चाय पीने बस-स्टैंड" ?

12. और जहाँ लोगों के स्टेटस-मैसेज आज भी "3 Mistakes of My Life - Joining my College, .., .." होगा, वहीँ हम बस यही लिख पाएंगे - "बिट्स पिलानी - मेरा धर्म, मेरी सोच, मेरी दुनिया, मेरी ज़िन्दगी"

P.S. - अगर यह पोस्ट पढने के बाद आपको ऐसा लग रहा है कि बिट्स-पिलानी में कुछ चीज़ों का स्तर काफ़ी कम है तो आपको बता दूँ :
1. यहाँ का खाना कई दूसरे कॉलेजों से काफ़ी अच्छा है जैसा मैंने अपने दूसरे कॉलेज के दोस्तों से सुना है |
2. यहाँ इन्टरनेट हर कमरे में उपलब्ध है - स्पीड कम है,कभी कभी 1-2 दिन के लिए इन्टरनेट नहीं रहता है पर फ़िर भी हम अपनी ज़िन्दगी बिना इसके सकुशल निकाल सकते हैं |
3. यहाँ के रेडी और कैन्टीन के खाने पेट[हमारे] भरने के लिए होते हैं ना की जेब[उनके] भरने के लिए |

पर अगर यह पढने के बाद भी आप दिल खोल के गालियाँ देना चाहते हैं तो बेखबर होकर, बेखौफ होकर, बेहिसाब होकर दीजिये ... कुछ सालों बाद आप मेरे पोस्ट पर टिपण्णी करने ज़रूर आएँगे... यह शर्त है मेरी आप से |

बुधवार, 12 नवंबर 2008

देखो वो BITSIAN चला जा रहा है

कोई जगाओ, कोई उठाओ कोई बताओ,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है,
थका हारा, नींद का मारा, सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

अरे Time-Table बनाने का बीड़ा उठाया है,
Seniors ने.....Ragging पर बुलाया है,
वो थका हारा, Ragging का मारा, सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

हर Tut जाने का संकल्प बनाया है,
10P बनने का वादा कर आया है,
वो थका हारा, Tuts का मारा,सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

अपने Club/Dep में Enthu दिखाया है,
जल्द-स-जल्द Contis बढ़ाया है,
वो थका हारा Enthu का मारा, सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

Tests ने तो जैसे ज़िन्दगी में आग लगाई है,
सुबह उठने में नाकामयाबी हाथ आई है,
वो थका हारा,Test Miss करने का मारा, सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

BOSM में हाथ आजमाएं हैं कुछ खेलो में,
Medals जीत कर लाया है ढेरों में,
वो थका हारा, खुशी का मारा, सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

OASIS में इनका जोश तो देखो,
हर Event को जीतने की ललक तो देखो,
वो थका हारा, कटीले नैनों का मारा, सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

APOGEE में भी कुछ करने की चाह है,
Projects की......है, जो कि ना एक आसान राह है,
वो थका हारा, विजयी अंगारा, सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |