क्या सब सो रहे हैं ? क्या देश अभी और भी कुछ देखना चाहता है ? क्या कुछ और भाइयों, बहनों, माँ, पिता... की लाश बिछने के बाद ही हम इस चिर-निद्रा से जागेंगे ? क्या देश के उस शहर में ये सब कुछ देखने के बाद आप जागेंगे जहाँ आप फिलहाल चैन की साँस ले रहे है ?
कुछ इन्हीं सब सवालों की बौछार कुछ लोगों के मन को टटोल रही है | यह मैं लोगों के Gtalk "Status Message" से तो समझ ही सकता हूँ | हर जगह लोग बस यही जानना चाहते हैं कि अब मुंबई में क्या हो रहा है ? कितने मरे, कौन से होटल में आतंकवादी घुसे, कितना बड़ा आदमी शहीद हुआ | सब एक आम-जनता की तरह, हर दिन का पेपर उठाती है, टीवी खोलती है, इन्टरनेट पर पढ़ती है | सब कुछ आज भी आम सा ही लग रहा है | कुछ अलग नहीं करना चाहते लोग ? या फ़िर कुछ कर नहीं पा रहे हैं ? पता नहीं शायद पहला सवाल ज़्यादा सही लग रहा है |
हम अलग करने के नाम पर हम "अपने" अच्छे नम्बर लाने पर आतुर रहते हैं, "अपने" व्यवसाय में कुछ नया करना जानते है, "अपने" दोस्त सभी से हटकर हों - यही कोशिश करते है, "अपना" घर अलग सा हो - सबका यही सपना है | यह अपने से इतना अपनापन सभी को रास आता है | सब अपने लिए जी रहे थे,हैं और शायद जीते भी रहेंगे | सबको अपना नाम, काम और दाम की बहुत चिंता है |
और हो भी क्यों ना ? किसी और ने आपके लिए क्या किया है ? किसी और ने कभी आपके लिए 2/- भी खर्च नहीं किए हैं तो फ़िर आप उनके लिए किस मुंह से ये सब काम करें ? बात में ग़लत कुछ भी नहीं है - जैसे को तैसा |
पर कभी सोचा है, आपके सामने एक छोटा सा बच्चा गिड़गिड़ाता हुआ आपसे दो घूँट पानी मांग रहा है - ज़िन्दगी के और आपने यह सोचकर की कोई भिखारी को पानी क्यों पिलाएं, उसे दुत्कार दिया हो ?
क्या कभी सोचा है, आपके सामने एक लड़की हाथ फैलाए हुए अपने इज्ज़त की भीख मांग रही हो क्योंकि उसके पीछे कुछ निहायती गिरे हुए इंसान...नहीं नहीं इंसान नहीं..हैवान लगे हुए हैं..और आपने यह सोचकर कन्नी काट ली कि मेरी बहन थोड़े ही ना है जो मैं ज़बरदस्ती इस पचड़े में पडूँ |
नहीं साहब/साहिबा यह सब बातें कौन सोचता है ? किसके पास इतना समय है - "U know todays world is competitive...U need to b fast..U need to utilise your time..I am busy..." शायद यही वाक्य आज का सबसे सफल बहाना बन गया है कोई काम ना करने का | अरे बातें तो मैं भी इतनी नहीं सोचता पर जब मुंबई जैसी जगह में बेखौफ हमले हो सकते हैं और वो भी इतने उत्कृष्ट जगहों पर, तो दिल दहल कर यह सब बातें सोचने पर मजबूर हो ही जाता है | शायद कुछ और लोगों का मन भी यह सोच रहा है | शरीर गुस्से और बदले की भावना से भर गया है पर एक मिनट, यह गुस्सा किसके लिए ? बदला किस से लेना है ? साहब/साहिबा आप तो यह तक नहीं जानते की कौन आपके बाजू में रहता है और आप कुछ ऐसे लोगों से बदला लेने चले हैं जिनका अता-पता तो पुलिस भी नहीं लगा पा रही है ?
यह हम इंसानों में बड़ी त्रुटी है...बड़ी ऊँची-ऊँची सोचेंगे, ऊँची-ऊँची फेकेंगे और जब समय आएगा उतना ही बड़ा पिछवाड़ा दिखाकर कहीं छुपकर भागेंगे | साहब सोचना है तो अपने आस-पास के बारे में सोचिये | अगर हर इंसान अपनी छोटी सी दुनिया को जन्नत बनाने की "कोशिश" भर भी करे तो शायद किसी अनजाने से बदला लेने की नौबत ही नहीं आएगी |
पता नहीं इतना बड़ा पोस्ट कौन पढेगा | साहब टाइम किसके पास है ? सब अपनी ज़िन्दगी में मस्त हैं पर अगर थोड़ी सी "कुछ अलग करने" की प्रवृत्ति से कुछ और लोगों की ज़िन्दगी मस्त हो जाए तो कोई हर्ज़ है क्या ?
लोगों के Status Message से तो लग रहा है की अब भारत जाग रहा है :
indians desperately need super-heroes...........
tough tym for both..... me n INDIA
I hope that this is the worst and last....Now its our turn
terror attacks again in mumbai....wat d hell is happening
Now 'Financial capital' at gunpoint
Hotel Oberoi attacked, Colaba petrol pump blown up...Mumbai...how safe?
लोग वाकई में कुछ करना चाहते हैं | अब लोग केवल अहिंसा से कुछ निर्बल लोगों को जवाब नहीं देना चाहते | अहिंसा और ग़दर का सही मिश्रण ही अब आतंकवादियों को मिटा सकता है जो कि आज के युवा वर्ग के लोगों में भरपूर नज़र आता है | किया तो मैंने भी आज तक कुछ नहीं है - यह सब सोचने के अलावा | पर कुछ करना ज़रूर चाहूँगा - अपने सुधार के लिए, इस देश के सुधार के लिए, पूरे विश्व के सुधार के लिए |
"अब आँखें खुली रख कर दिन में ही सपने देखने का समय आ गया है |"
इस जोशीले युवा-वर्ग को साथ मिलकर "लडकियां और लड़कों के बातों" के अलावा इन सब विषयों पर भी साथ मिलकर चर्चा करनी पड़ेगी जो की वाकई में एक उत्साहवर्द्धक कदम होगा |
अब धीरे-धीरे भारत जागेगा | जब हम कुछ थोड़े बहुत पढ़े-लिखे लोग जागेंगे तभी हम बाकी लोगों को जगा सकेंगे | ज़रूरत पहले इस जवान भारत को जागने की है - "It is the most ripe time to buid up A Young India, A Rising India"
शायद यह पोस्ट एक परिचर्चा में बदल जाए जहाँ सभी young लोग अपने-अपने विचार रखेंगे - एक सपने को सच में बदलने के लिए | ज़रूरी है जोश को बरकरार रखने का, सक्रीय और कार्यशील रहने का |
आपसे आग्रह है कि "A Young India, A Rising India" के लिए अपने विचार सभी के साथ इस पोस्ट के ज़रिये बाँटें | एक सफल परिचर्चा ही अब इस भारत को महाशक्ति बना पाने में सफल हो सकता है |
अपने दोस्तों से कहें कि वो भी अपने ideas हम सभी के साथ share करें |
भारत जाग रहा है - इस जागते भारत के चाँद, सूरज, सितारे बनें और इस विश्व को रोशन करें |
"India is Rising and the Rise is Young" - "AYoung India, A Rising India"
..."India is Rising and the Rise is Young" - "AYoung India, A Rising India"
पढने लायक - हम अभी कहाँ हैं ?