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सोमवार, 25 अगस्त 2008

गोवा से घर

तो अब आगे बढ़ते हैं | वहीँ से जहाँ से मैंने इस लड़ी को छोड़ा था |
ट्रेन कुछ 3 घंटे की देरी से गोवा पहुँची और हम 4 लोग शाम को 6 बजे कैम्पस पहुँच गए |
गोवा कैम्पस को तो बस चित्रों में ही देखा था |
पहली झलक में काफ़ी सुंदर लगा और वहीँ पर हॉस्टल में हमारे रहने का इंतजाम करवाया गया था |
चूँकि बिट्स गोवा नया बना था इसलिए हमे वहां के हॉस्टल यहाँ से ज़्यादा अच्छे लगे |

खैर अब बात करते हैं वहां के व्यवस्था की...

1. लोगों ने हमें पहले ही डरा दिया की "कृपया सापों से सावधान रहें, यहाँ नुक्कड़-नुक्कड़ पर खतरा है.."
एक बार तो यूँ लगा की जैसे वहां PS नहीं,डिस्कवरी चैनल की तरफ़ से कोई आदम ज़माने की खोज के
लिए आए हों और अब इन जानवरों के साथ रहने की आदत डालनी पड़ेगी |
वो बात अलग है की जिस जीव से हमें डरने को कहा गया था वो पूरे दो महीने हम आलसी पिलानी वालों
से मिलने ही नहीं आया और ना ही हमने कोई कोशिश की |
2. इसके बाद हमें वहां के 10:30 और 11:00 बजे का नियम/पाठ पढाया गया | हमें सख्ती से यह कहा गया कि
"जो आप 10:30 के बाद कैम्पस के बाहर रह गए, त्यों ही आप अपने बैंक एकाउंट खाली करवा देना और अगर आप 11:00 बजे के बाद हॉस्टल से बाहर रह गए तो, अपना दिमाग कमरे पर रख कर किसी बुद्धिजीवी से कुछ आधे-पौन घंटे का सत्संग सुनने पहुँच जाना | हमने कहा - "जो हुक्म मेरे आका" और जल्दी से वहां से निकल लिए |
3. इसके बाद खुशखबरी सुनाई गई कि मेस पूरे समय बंद रहेगा ( खुशखबरी इसलिए कि मेस "बंद" रहेगा पिलानी में दो साल एक ही मेस को झेलकर अच्छे-अच्छों के तोते उड़ जाते हैं ) | हमारा दाना-पानी IC में लिखा गया था जो कि हम पूरा करके सही सलामत वापस पिलानी पहुँच गए हैं - एक और खुशखबरी !!!!

कुछ ऐसे बंधनों के साथ हमने अपना PS का सफर शुरू किया....

PS-1 जैसा कि सुना था (अपने बड़े लोगों से - SENIORS) बिल्कुल वैसा ही रहा - आप समझ ही गए होंगे | अब कुछ बातें केवल समझने कि ही होती हैं कही नहीं जाती [:)] |
एक बात पक्की रही, PS Station से ज़्यादा मैंने वास्को,मडगाँव,पणजी और समुद्र तट पर समय गुजारी |

PS का काम था जाओ (बसों में रियायत के लिए झगड़ा करते हुए),दिखाओ (अपना चेहरा),लगाओ (थोड़ा दिमाग - कुछ ज़्यादा ही थोड़ा),मिलाओ (नए लोगों से हाथ),खाओ (Rs.3/- में डोसा),लाइब्रेरी जाओ (केवल सोने),सर उठाओ,पैर उठाओ,हाथ उठाओ,दिमाग मत उठाओ और वही के वहीँ किसी समुद्र तट की और रुखसत हो जाओ !!!!!!
तो आप समझ ही गए होंगे कि कैसा रहा हमारा PS-1 !!!!
आज लगता है कि और एक PS-1 होना चाहिए और फ़िर से गोवा में..अब क्या बताएँ,वो जगह ही ऐसी है |

खैर आपको बता दूँ कि मैंने कोल्वा,पालोलिम,मजोर्डा,कान्डोलिम,अगुआङा,अम्बोली,बायना,पणजिम,वास्को,मडगाँव और...
अब तो याद भी नहीं है सारे.इतनी जगह घूमी...
इन जगहों में से सबसे ज़्यादा पालोलिम,अम्बोली और वास्को पसंदीदा जगह रही जिन्हें अब केवल उन कैद लम्हों से ही याद रख पाता हूँ |

गोवा के अलावा मैं 2 बार मुंबई भी गया | ऑडिशंस देने - Indian Idol और Star Voice Of India के लिए | ये मेरे लिए पहला मौका था कि मैं इतने बड़े प्रोग्राम के लिए ऑडिशंस देने गया और मुंबई भी मैं पहली बार ही गया | एक बात पक्की समझ गई | आज अगर आपके पास केवल टैलेंट/गुण है तो आप कहीं के भी नहीं हैं - आपको आज पहुँच और किस्मत की भी बराबरी कि ज़रूरत है | मैं यह इसलिए नहीं कह रहा हूँ क्योंकि मैं वहां नहीं चुना गया, पर इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैंने उस पल को जिया है जब जज ने केवल मेरे गाने के बोल सुनकर ही मुझे रूम से बाहर निकाल दिया | वो पल इतना बुरा लगने वाला पल था क्योंकि मैं 12 घंटे लगाकर गोवा से मुंबई आया और मुझे अपने आप को साबित करने के लिए 12 सेकंड्स भी नहीं मिले |
खैर संघर्ष ही ज़िन्दगी का नाम है और मैं भी इसी ज़िन्दगी का एक हिस्सा हूँ | आपको यह बता दूँ कि Star Voice of India में मैं दूसरे चरण में पहुँचने में कामयाब रहा जो कि मेरे इतने लंबे सफर कि एक छोटी से उपलब्धि ज़रूर रही | मुंबई में Essel World जैसी जगह में जा कर जीवन के एक अलग ही छोर में अपने आपको महसूस किया | मेरे साथ तपन और राम ने भी इस छोर को पकड़ा और उस जोश और होश का आनंद उठाया |

गोवा से जाते जाते मैं कुछ चीज़ों को कभी नहीं भुला पाया और ना ही शायद भुला पाऊंगा -
1. लोटा लेकर प्रकृति के बुलावे के लिए जाना और बैठने के बाद पता चलना कि नल में पानी नहीं है..
2. छाता खुलने से पहले ही भीग जाना और खुल जाने के बाद तपती धूप से बचना..
3 .झोपड़ी जाते वक्त जूते पहनना और वापस सलामत पहुँचने पर दोस्त को गलियाना कि - बेकार ही इतनी मेहनत की, वो सांप साला फ़िर से नज़र नहीं आया |
4. कभी-कभी केवल दूध और ब्रेड से ही खाना खाने का काम निकालना |
5. बारिश होने से आधे घंटे पहले ही रूम से बत्ती का गुल हो जाना |
6. इंस्टी बिल्डिंग के सामने बैठकर खूब टाइम-पास करना |
7. गूंजन मॉल (मल से मॉल हो गया है वो) कि क्रिकेट/टेनिस(शारापोवा)/यूँ ही काफ़ी खिचाई करना |
8. बस में १० जनों का बेसुरे स्वर में एक ही गाना गाना |
9. कैम्पस गेट के सामने खड़े हो कर घंटे भर "LIFT" माँगना और नहीं मिलने पर PS नहीं जाना |
10.वो प्राकृतिक सुन्दरता और सौम्यता जो कि अब हमसे कोसों दूर है |

अब कुछ छायाचित्र और बातें ही रह गई हैं जो यादें बनकर इस ज़हन में घर कर गई हैं...
क्या पता मैं फ़िर से उसी आजादी, उसी जोश,वही दोस्तों और उसी दिल के साथ ऐसे जन्नत का एहसास कर पाऊंगा या नहीं...

उन शानदार लम्हों को आपके साथ बांटते हुए मैं आप से आज्ञा लेता हूँ....
-प्रतीक