नया क्या?

शनिवार, 13 दिसंबर 2008

गिनती ज़िन्दगी की

बच्चे थे तो टॉफियाँ गिना करते थे,
थोड़े बड़े हुए तो दोस्त गिना करते थे,

स्कूल पहुंचे तो हाथों पर छड़ियाँ गिना करते थे,
कॉलेज आए तो मार्क्स गिना करते थे,

थोड़े और बड़े हुए तो गर्ल-फ्रेंड्स गिना करते थे,
नौकरी लगी तो तरक्कियां गिना करते थे,

शादी हुई तो बच्चे गिना करते थे,
फैक्ट्री लगाई तो रूपए गिना करते थे,

दादा बने तो पोते गिना करते थे,
आज जा रहे हैं इस दुनिया से

और साँसे गिनने की घड़ी आ गई है..
सोच रहा है क्या सिर्फ़ गिनते गिनते ही ज़िन्दगी निकाल दी ?
काश कभी इन उँगलियों पर उसका नाम भी गिना होता
जिसने यह गिनती बनाई है,

अब क्या फायदा ?
क्या फायदा अब सोचने से ?
साँसों का दामन तो छूट रहा है ....
और साथ-साथ दो आंसुओं की कीमत भी गिन रहा हैं...

बुधवार, 10 दिसंबर 2008

शुभकामनाएँ !!!

इस सेमेस्टर का आखिरी पोस्ट..

धुंध में धुंधलाती आँखों को,
पेपरों में कांपते हाथों को,
15 दिनों से चल रहे niteouts को,
sem के आखिरी लम्हातों को,
कह रहा हूँ..
टाटा, Gud Bye, सलाम..
X'Mas और नया साल हो आपका सुखद,
बस यही दुआ के साथ पहुंचे आप तक यह पैगाम |

कोशिश करूँगा छुट्टियों में कुछ लिख पाऊँ.
तब तक..
सायोनारा, आदाब, दसविदानियाँ...
[:)] . . .

शुक्रवार, 28 नवंबर 2008

A Young India, A Rising India

इस पोस्ट को केवल वही लोग पढ़ें जो उम्र से नहीं पर दिल से जवान है - एक जवान भारत को बुजुर्गियत का चोगा अब उतारना होगा !!! जवानी सर पर है और इसमें केवल जवान दिल और मन का ही प्रवेश है !!! बाकी सबको प्रवेश वर्जित है !!!

क्या सब सो रहे हैं ? क्या देश अभी और भी कुछ देखना चाहता है ? क्या कुछ और भाइयों, बहनों, माँ, पिता... की लाश बिछने के बाद ही हम इस चिर-निद्रा से जागेंगे ? क्या देश के उस शहर में ये सब कुछ देखने के बाद आप जागेंगे जहाँ आप फिलहाल चैन की साँस ले रहे है ?

कुछ इन्हीं सब सवालों की बौछार कुछ लोगों के मन को टटोल रही है | यह मैं लोगों के Gtalk "Status Message" से तो समझ ही सकता हूँ | हर जगह लोग बस यही जानना चाहते हैं कि अब मुंबई में क्या हो रहा है ? कितने मरे, कौन से होटल में आतंकवादी घुसे, कितना बड़ा आदमी शहीद हुआ | सब एक आम-जनता की तरह, हर दिन का पेपर उठाती है, टीवी खोलती है, इन्टरनेट पर पढ़ती है | सब कुछ आज भी आम सा ही लग रहा है | कुछ अलग नहीं करना चाहते लोग ? या फ़िर कुछ कर नहीं पा रहे हैं ? पता नहीं शायद पहला सवाल ज़्यादा सही लग रहा है |

हम अलग करने के नाम पर हम "अपने" अच्छे नम्बर लाने पर आतुर रहते हैं, "अपने" व्यवसाय में कुछ नया करना जानते है, "अपने" दोस्त सभी से हटकर हों - यही कोशिश करते है, "अपना" घर अलग सा हो - सबका यही सपना है | यह अपने से इतना अपनापन सभी को रास आता है | सब अपने लिए जी रहे थे,हैं और शायद जीते भी रहेंगे | सबको अपना नाम, काम और दाम की बहुत चिंता है |
और हो भी क्यों ना ? किसी और ने आपके लिए क्या किया है ? किसी और ने कभी आपके लिए 2/- भी खर्च नहीं किए हैं तो फ़िर आप उनके लिए किस मुंह से ये सब काम करें ? बात में ग़लत कुछ भी नहीं है - जैसे को तैसा |
पर कभी सोचा है, आपके सामने एक छोटा सा बच्चा गिड़गिड़ाता हुआ आपसे दो घूँट पानी मांग रहा है - ज़िन्दगी के और आपने यह सोचकर की कोई भिखारी को पानी क्यों पिलाएं, उसे दुत्कार दिया हो ?
क्या कभी सोचा है, आपके सामने एक लड़की हाथ फैलाए हुए अपने इज्ज़त की भीख मांग रही हो क्योंकि उसके पीछे कुछ निहायती गिरे हुए इंसान...नहीं नहीं इंसान नहीं..हैवान लगे हुए हैं..और आपने यह सोचकर कन्नी काट ली कि मेरी बहन थोड़े ही ना है जो मैं ज़बरदस्ती इस पचड़े में पडूँ |

नहीं साहब/साहिबा यह सब बातें कौन सोचता है ? किसके पास इतना समय है - "U know todays world is competitive...U need to b fast..U need to utilise your time..I am busy..." शायद यही वाक्य आज का सबसे सफल बहाना बन गया है कोई काम ना करने का | अरे बातें तो मैं भी इतनी नहीं सोचता पर जब मुंबई जैसी जगह में बेखौफ हमले हो सकते हैं और वो भी इतने उत्कृष्ट जगहों पर, तो दिल दहल कर यह सब बातें सोचने पर मजबूर हो ही जाता है | शायद कुछ और लोगों का मन भी यह सोच रहा है | शरीर गुस्से और बदले की भावना से भर गया है पर एक मिनट, यह गुस्सा किसके लिए ? बदला किस से लेना है ? साहब/साहिबा आप तो यह तक नहीं जानते की कौन आपके बाजू में रहता है और आप कुछ ऐसे लोगों से बदला लेने चले हैं जिनका अता-पता तो पुलिस भी नहीं लगा पा रही है ?

यह हम इंसानों में बड़ी त्रुटी है...बड़ी ऊँची-ऊँची सोचेंगे, ऊँची-ऊँची फेकेंगे और जब समय आएगा उतना ही बड़ा पिछवाड़ा दिखाकर कहीं छुपकर भागेंगे | साहब सोचना है तो अपने आस-पास के बारे में सोचिये | अगर हर इंसान अपनी छोटी सी दुनिया को जन्नत बनाने की "कोशिश" भर भी करे तो शायद किसी अनजाने से बदला लेने की नौबत ही नहीं आएगी |

पता नहीं इतना बड़ा पोस्ट कौन पढेगा | साहब टाइम किसके पास है ? सब अपनी ज़िन्दगी में मस्त हैं पर अगर थोड़ी सी "कुछ अलग करने" की प्रवृत्ति से कुछ और लोगों की ज़िन्दगी मस्त हो जाए तो कोई हर्ज़ है क्या ?

लोगों के Status Message से तो लग रहा है की अब भारत जाग रहा है :

indians desperately need super-heroes...........


tough tym for both..... me n INDIA

I hope that this is the worst and last....Now its our turn

terror attacks again in mumbai....wat d hell is happening

Now 'Financial capital' at gunpoint

Hotel Oberoi attacked, Colaba petrol pump blown up...Mumbai...how safe?


लोग वाकई में कुछ करना चाहते हैं | अब लोग केवल अहिंसा से कुछ निर्बल लोगों को जवाब नहीं देना चाहते | अहिंसा और ग़दर का सही मिश्रण ही अब आतंकवादियों को मिटा सकता है जो कि आज के युवा वर्ग के लोगों में भरपूर नज़र आता है | किया तो मैंने भी आज तक कुछ नहीं है - यह सब सोचने के अलावा | पर कुछ करना ज़रूर चाहूँगा - अपने सुधार के लिए, इस देश के सुधार के लिए, पूरे विश्व के सुधार के लिए |

"अब आँखें खुली रख कर दिन में ही सपने देखने का समय आ गया है |"


इस जोशीले युवा-वर्ग को साथ मिलकर "लडकियां और लड़कों के बातों" के अलावा इन सब विषयों पर भी साथ मिलकर चर्चा करनी पड़ेगी जो की वाकई में एक उत्साहवर्द्धक कदम होगा |
अब धीरे-धीरे भारत जागेगा | जब हम कुछ थोड़े बहुत पढ़े-लिखे लोग जागेंगे तभी हम बाकी लोगों को जगा सकेंगे | ज़रूरत पहले इस जवान भारत को जागने की है - "It is the most ripe time to buid up A Young India, A Rising India"

शायद यह पोस्ट एक परिचर्चा में बदल जाए जहाँ सभी young लोग अपने-अपने विचार रखेंगे - एक सपने को सच में बदलने के लिए | ज़रूरी है जोश को बरकरार रखने का, सक्रीय और कार्यशील रहने का |

आपसे आग्रह है कि "A Young India, A Rising India" के लिए अपने विचार सभी के साथ इस पोस्ट के ज़रिये बाँटें | एक सफल परिचर्चा ही अब इस भारत को महाशक्ति बना पाने में सफल हो सकता है |
अपने दोस्तों से कहें कि वो भी अपने ideas हम सभी के साथ share करें |

भारत जाग रहा है - इस जागते भारत के चाँद, सूरज, सितारे बनें और इस विश्व को रोशन करें |
"India is Rising and the Rise is Young" - "AYoung India, A Rising India"
...
पढने लायक - हम अभी कहाँ हैं ?

शुक्रवार, 21 नवंबर 2008

बचपन से बुढ़ापा - Psenti Special

**** यह कविता काफ़ी लम्बी है [:)] | यह जानकारी उन लोगों के लिए है जो यह सोचकर ब्लॉग पढ़ रहे हैं कि शायद एक छोटी सी कविता आपके समक्ष होगी |पर आपको काफ़ी संयम के साथ इसका पठन करना पड़ेगा | यह अलग से नोट मैंने कुछ लोगों की टिपण्णी के बाद डालने का विचार किया | आशा है आप में वो संयम अवश्य होगा जो मुझे भी रखना पड़ा था यह कविता बुनते वक्त - "3 घंटे " | अपनी ज़रा सी मेहनत पर आपकी छोटी टिप्पणियाँ काफ़ी उत्साहवर्द्धक होंगी | - धन्यवाद

अब वक्त आ गया है जब कुछ लोग बिछड़ जाएँगे हमसे ,
पर बिछड़ने का दुःख, मिलने के सुख से कहाँ है बड़ा..
हम बस यही कहते हैं आपसे ,
ज़िन्दगी का उसूल है ये - "जो ना बिछड़ा वो कहाँ मिला"

साल - 1
यह साल है उस नन्हें बचपन की,
जब ज़िन्दगी की शुरुआत हुई..
दिल हिलोरे मारने पर मजबूर था,
और यह देखो !!!
कॉलेज की शुरुआत हुई..
अरे भाईयों (और उनकी बहनों)
ये विंग का खेला क्या होता है,
साईडी और रूमी किसका तोता है ?
सुबह-सुबह इनका दिन होता है,
रात 10 बजे तक हर विंग सोता है..
क्लास जाना चाहिए बराबर,
नहीं तो कम आएँगे नम्बर..
सुना है RAF में फिल्में दिखाते हैं,
150 रूपए में 24 आते हैं ? ? ?
बॉस्म किस खेल का नाम है ?
अरे नहीं यह तो खेलों का सुल्तान है..
ओएसिस में घर चलते हैं,
नहीं रे, रुक ना..मस्ती करते हैं..
दिवाली यहाँ सूनी-सूनी सी,
घर की याद दिला गई..
फ़िर खाना इतना माशा-अल्लाह,
अच्छे-अच्छों की तंगी आ गई..
Tuts,Tests और Lab तो हैं बस li8 रा,
Compree में पूरी निकल गई है इनकी हवा..
जैसे तैसे इसे निकाला, चले हैं घर को झूम के..
ये देखो इस बचपन का रंग,
कॉलेज के दिन हैं नूर से..
दूसरा सेम मतलब ठंडा-ठंडा कूल कूल,
ये सुहावना मौसम है "So Wonderful"
अब थोडी बिट्सियनगिरी आई है इनमें,
जागते हैं रातों में और सोते हैं दिन में..
Founder's Day, Inbloom और APOGEE हैं नए अखाड़ी,
लो साहब वो आते हैं जोशीले नए खिलाडी..
अब तापमान यहाँ का और प्रॉफ्स का भी बढ़ रहा है,
जो की बदन पे कपडों से और पपेरों में नंबरों से साफ़ झलक रहा है..
किसी तरह भाग छूटें इस कारागार से,
सबकी यही दुआ है परवर-दिगार से..
और यूँ ही ख़त्म हो गया पहला साल,
Wings टूटी हैं अब जाना है सबको अपने-अपने द्वार..
वो जोश, वो तरंग, वो उमंग अब ठंडा पड़ चुका है,
और कॉलेज का बचपन समाप्त हो चुका है ||

साल - 2
ढाई महीने की लम्बी छुट्टी के बाद,
घर से कॉलेज का बजाया है शंख-नाद..
फ़िर से नए भवनों का मज़ा लेने आए हैं [लड़कियां मैं क्षमा चाहता हूँ इस मामले में]
कंप्यूटर/लैपटॉप भी साथ लाए हैं..
अरे ये देखो इस बार क्या हुआ !!!!
कॉलेज का यौवन हम पर सवार हुआ..
जो हुआ करते थे अपने बचपन में सबसे शरीफ,
आज हर प्रॉफ को उसी की तलाश है,
जो लिखा करते थे पेपर में कलम तोड़-तोड़ कर,
आज उन्हीं के पेपर सबसे साफ़ हैं..
अब तो C'not और नूतन पे डेरे जमते हैं,
मय के प्यालों के फेरे पड़ते हैं..
RAF में लोगों का कंगाला पड़ा है,
भला क्यों ना हो ? सबके कमरे में एक डब्बा जो गड़ा है..
अब लेक्चर जाने का बस एक ही मकसद रह गया है,
किसी पे दिल, crush जो कर गया है..
क्लब/डिपार्टमेन्ट तो जैसे बल्ले-बल्ले ,
पढ़ाई-लिखाई li8 ले li8 ले ..
Test और Tut के लिए रात [बिट्सियन "दिन" पढ़ें] को शुरू होती है पढ़ाई,
सुबह सबने मिलकर हाय-तौबा मचाई..
सभी खेलों और इवेंट्स में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है,
मानो पूरा जंग जीत लिया है..
बस यूँ ही सो-सो कर ज़िन्दगी को sac-out कर लिया है,
और किसी तरह 2nd इयर पार किया है..
तो खत्म हुआ gen tp वाला अनूठा साल,
ये यौवन ना आएगा फ़िर से एक बार ||

साल - 3
कमर कसकर तैयार हो जाइये,
जहाँ पनाह घोटू महाराज, घोटुओं के सरताज पधार रहे हैं..
पता है यह सबसे ख़ास साल है इनके लिए,
क्योंकि इसी से इनकी भावी ज़िन्दगी का सफर जुड़ा है
अब क्लास जाने का मतलब है पढ़ाई,
टाइम ख़राब करने वालों को बाई-बाई..
CDC में खूब नम्बर जमाए हैं,
पर कुछ तो अब भी av - ही ला पाए हैं..
Lab,Test और compree में है जीवन निकाला,
जिस तरह शादी करने के बाद निकलता है लोगों का दिवाला..
अब तो रात दिन एक से लगते हैं,
केवल पढ़ना है सब यही कहते हैं..
सभी ने जी भर के दी है प्रॉफ्स को बद्दुआ..
तो इस तरह गृहस्थ आश्रम खत्म हुआ..

साल - 4
अब आया है वो सेम जिसे लोग psenti कहते हैं,
क्या वाकई में लोग इसमें इतने senti होते हैं ?
ज़िन्दगी में जैसे एक भूचाल सा आया है,
क्यों नहीं ? पिछले 3 साल का फल यहीं तो पाया है..
नियम बनाया है की हर दिन आना है मन्दिर में फेरे देकर,
और प्लेसमेंट में बैठना है हर प्रॉफ का नाम ले कर..
जब जॉब लगने का "गुड न्यूज़" सुनाया है,
तो bumps, treat और बधाई का पात्र कहलाया है..
अब तो बुढापे में जवानी का जोश आया है,
ये फ़िर से बिट्सियन पद्दति पर आया है..
रात भर जग कर फिल्में देखना,
और दिन में दोस्तों के साथ खूब मटर-गश्ती करना..
बस अब ज़्यादा दिन नहीं बचे हैं इस ज़िन्दगी के,
बुढापा अपना रंग दिखाने लगा है हर किसी पे..
घंटों फ़ोन पर बातें करते हैं,
और शायद किसी से दिल की बात भी कहते हैं..
Farewell के दिन जब नज़दीक आते हैं,
तो इनके status message बड़े दुखद हो जाते हैं..
लोग buzz कर के हाल-चाल पूछते हैं,
और ये ग़मों भरा reply भी देते हैं..
खैर हम क्या जाने इनके दिल का हाल,
अभी तो बाकी है हमारा एक साल..

बस यादों के ज़रिये जीना सीख रहे हैं ये सब,
उन हसीं पलों को साथ रखोगे कब तक ?
पुरानी फोटो और विडियो देख कर दिल भर आता है,
और जब और सह ना सके तो आंसू मोती बन जाता है..
क्या पता कहीं अकेले में भी बैठ कर सिसकते होंगे,
इन सब चीज़ों को पकड़ने की नाकाम कोशिश करते होंगे..

आप सभी को इस नाचीज़ का सलाम,
बस इससे ज़्यादा क्या कहें आपके नाम..
अगर इसे पढ़कर आपका दिल भर आया है,
अगर इसे पढ़कर यादों का पुल बाँध को तोड़ आया है,
अगर इसे पढ़कर किसी का ख्याल दिल में आया है,
तो सही मायनों में आप senti हैं,
आपने वाकई में बिट्सियन ज़िन्दगी को जिया है,
नहीं तो आपने काफ़ी कुछ Miss किया है..
क्या पता कल मैं भी इसी तरह किसी का ब्लॉग पढ़ रहा होऊंगा,
और मन-ही-मन उस जूनियर को धन्यवाद दे रहा होऊंगा..
जिसने अपने सीनियर्स के नाम यह कविता बनाई है,
आशा करता हूँ यह आपको पसंद आई है..

अगर सही में अच्छी लगी हो यह कृति,
तो जाते-जाते बस दे जाइये एक टिपण्णी ||

मंगलवार, 18 नवंबर 2008

जहाँ लोग ये, वहां हम वो

उफ्फ आखिरकार मैं खुली हवा में फ़िर से साँस ले रहा हूँ...लेकिन खुश होने की इतनी ज़्यादा बात नहीं है, 2 दिन बाद फ़िर से कुछ दिनों के लिए ब्लैक-आउट हो जाएगा | खैर आप तो जाने ही दीजिये इन सब फिजूल की बातों को....खुशी की बात यह है कि आज बहुत दिनों बाद ब्लॉग करने का मौका मिला है | क्या करुँ समझ नहीं आ रहा है | दिमाग में यूँ कहें की या तो बहुत सी बातें दौड़ रही हैं या फ़िर दिमाग में केवल गाय का चारा भरा रह गया है |
बिट्स में आ कर तो बहुत अच्छा लगा था पर तीसरे साल में पहुँचते ही काफ़ी लोगों को "बिट्स में आना" अपनी "3 Mistakes of My Life" में से एक लग रहा है | मैं समर्थन करता हूँ पर गहराई में जाएं तो मैं संसद भवन के विपक्षी दल की तरह आप पर गाज गिरा सकता हूँ |

आज दिल में ख़याल आया की इन सब भारी भरकम सिलेबस, किताब, ट्युट्स, टेस्ट्स, लैब्स और भी ना जाने क्या क्या चीज़ों के नीचे दबे हुए इस संसार के कुछ परेशान आदम-खोर [यहाँ आइये साहब सबके बढे हुए जुल्फों को देख कर आप भी यही कहेंगे] अगर इन सब दबाव के नीचे अगर कुछ सकारात्मक सोच रखें तो ज़िन्दगी उतनी दर्दनाक [सही शब्द है ना अभी के हालात के मुताबिक ??] नहीं रह जाएगी |
क्या कभी सोचा है कि ज़िन्दगी जो केवल परीक्षाओं का खेल है, आगे हमारे लिए कितनी आसान हो जाएगी ?

1. कंपनी में लोग यह देख कर परेशान रहेंगे की हम बिट्सियन प्रेजेंटेशन, प्रोजेक्ट वगैरह-वगैरह से तनिक भी चिंतित नहीं रहते हैं | आलम यह रहेगा - "अच्छा प्रतीक, कल यह प्रेजेंटेशन देना है..हो जाएगा ?" और हम कहेंगे - "क्या सर ? बस एक ही है ?..नहीं करेंगे !!!!! हमारी आदत एक साथ कम से कम दो टेस्ट, प्रेजेंटेशन, प्रोजेक्ट देने की है | खैर, लाइट रा ! हो जाएगा |"

2. जब ऐसी जगह पहुँच जाएं की हमारी पूरी टीम खाने से परेशान है तो हम यही कहेंगे - "क्या बात कर रहे हो ? यह खाद्य तो बिल्कुल खाने योग्य है | कम से कम यह तो समझ में आता है की क्या खा रहे हैं | पिलानी में 4 साल रहकर भी यह नहीं जान पाएं हैं की भिन्डी और आलू के अलावा मेस में क्या-क्या खाया है | इसलिए मस्त हो जाओ और चुप-चाप इतना beautiful [हम खाने को उसकी खूबसूरती से रेट करते हैं, ना कि स्वाद से] खाना खाओ |"

3. जब ऐसी जगह पहुँच जाएंगे जहाँ लोग ठण्ड के कारण काम ना करने का बहाना बना रहे हों, वहीँ हम पूरे जोश के साथ नाईट-आउट मार रहे होंगे और सफलता की सीढियां चढ़ रहे होंगे | जब लोग गर्मी से परेशान ए.सी. और पंखों की तलाश में भटक रहे होंगे वहीँ हम मटक-मटक कर अपने काम को बेधड़क बिन भटके कर रहे होंगे |

4. जब हमारे आस-पास के लोग यह शिकायत जता रहे होंगे कि यहाँ तो बर्ड-वाचिंग भी नहीं कर सकते वहीँ हम, जिनका स्तर शून्य से कहीं नीचे जा चुका है, नयन सुख प्राप्त कर रहे होंगे |

5. जहाँ लोग यह कहकर परेशान होंगे की उनका पारिश्रमिक [salary] बहुत कम है वहीँ हम एक चूसे हुए आत्मा की तरह बहुत ही संतुष्ट रहेंगे क्योंकि साहब अब जिसको zuc,1,2,3,4....की आदत हो गई है, वो बेचारा क्यों फोकट में आंसू बहाएगा ?

6. जहाँ लोगों को कंपनी में इन्टरनेट की स्पीड पर आपत्ति होगी वहीँ हम कहेंगे - "अरे, पप्पू खुश रह नहीं तो तुझे बिट्स ले जाऊंगा जहाँ दिनों-दिनों तक लोग बिना इन्टरनेट के भी जीवित रह सकते हैं - क्योंकि वहां लोगों को जीना आता है |"

7. जहाँ लोग एक दिन नहीं नहाने पर अपने शरीर के दुर्गन्ध से मारे जाएँगे वहीँ हम बिट्सियन पता नहीं कितने मासूमों को अपनी ना नहाने की आदत से उनको दुनिया से रुखसत कराएँगे |

8. जहाँ लोगों को 1 कि.मी. चलने के लिए भी स्कूटर की ज़रूरत पड़ेगी वहीँ हम 10-10 कि.मी. तो यूँ ही पैदल नाप आएँगे |

9. जहाँ लोगों को "Oberoi's" का खाना भी पसंद नहीं आ रहा होगा वहीँ हम रास्ते में आए ढाबे को भी "Taj" का ओहदा दे जाएंगे |

10. जहाँ लोग पुणे-मुंबई हाईवे पर 2 घंटे के सफर के बाद फुस्स हो जाएँगे वहीँ हम पूरा बिहार सड़क पर तय करने के बाद कहेंगे - "दिल्ली से पिलानी चलें ? "

11. जहाँ रात को तीन बजे लोग अपने घर में चूल्हे पर चाय बना रहे होंगे, वहीँ हम अपने दोस्त से कहेंगे - "चलें एक कटिंग चाय पीने बस-स्टैंड" ?

12. और जहाँ लोगों के स्टेटस-मैसेज आज भी "3 Mistakes of My Life - Joining my College, .., .." होगा, वहीँ हम बस यही लिख पाएंगे - "बिट्स पिलानी - मेरा धर्म, मेरी सोच, मेरी दुनिया, मेरी ज़िन्दगी"

P.S. - अगर यह पोस्ट पढने के बाद आपको ऐसा लग रहा है कि बिट्स-पिलानी में कुछ चीज़ों का स्तर काफ़ी कम है तो आपको बता दूँ :
1. यहाँ का खाना कई दूसरे कॉलेजों से काफ़ी अच्छा है जैसा मैंने अपने दूसरे कॉलेज के दोस्तों से सुना है |
2. यहाँ इन्टरनेट हर कमरे में उपलब्ध है - स्पीड कम है,कभी कभी 1-2 दिन के लिए इन्टरनेट नहीं रहता है पर फ़िर भी हम अपनी ज़िन्दगी बिना इसके सकुशल निकाल सकते हैं |
3. यहाँ के रेडी और कैन्टीन के खाने पेट[हमारे] भरने के लिए होते हैं ना की जेब[उनके] भरने के लिए |

पर अगर यह पढने के बाद भी आप दिल खोल के गालियाँ देना चाहते हैं तो बेखबर होकर, बेखौफ होकर, बेहिसाब होकर दीजिये ... कुछ सालों बाद आप मेरे पोस्ट पर टिपण्णी करने ज़रूर आएँगे... यह शर्त है मेरी आप से |

बुधवार, 12 नवंबर 2008

देखो वो BITSIAN चला जा रहा है

कोई जगाओ, कोई उठाओ कोई बताओ,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है,
थका हारा, नींद का मारा, सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

अरे Time-Table बनाने का बीड़ा उठाया है,
Seniors ने.....Ragging पर बुलाया है,
वो थका हारा, Ragging का मारा, सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

हर Tut जाने का संकल्प बनाया है,
10P बनने का वादा कर आया है,
वो थका हारा, Tuts का मारा,सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

अपने Club/Dep में Enthu दिखाया है,
जल्द-स-जल्द Contis बढ़ाया है,
वो थका हारा Enthu का मारा, सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

Tests ने तो जैसे ज़िन्दगी में आग लगाई है,
सुबह उठने में नाकामयाबी हाथ आई है,
वो थका हारा,Test Miss करने का मारा, सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

BOSM में हाथ आजमाएं हैं कुछ खेलो में,
Medals जीत कर लाया है ढेरों में,
वो थका हारा, खुशी का मारा, सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

OASIS में इनका जोश तो देखो,
हर Event को जीतने की ललक तो देखो,
वो थका हारा, कटीले नैनों का मारा, सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

APOGEE में भी कुछ करने की चाह है,
Projects की......है, जो कि ना एक आसान राह है,
वो थका हारा, विजयी अंगारा, सोया जा रहा है,
देखो वो BITSIAN चला जा रहा है |

बुधवार, 8 अक्तूबर 2008

घर से दूर, मंजिल के पास - हम बिट्सियन

यह पोस्ट उन सभी लोगों के लिए हैं जो इस त्यौहार के माहौल में अपने और अपने रिश्तेदारों से दूर हैं | मैं भी घर से दूर हूँ लेकिन आज बिट्स के पूजा मैदान में जा कर पुरानी यादें फ़िर से ताज़ा हो गईं |

फ़िर से वो श्रद्धा के साथ माँ भवानी के सामने नतमस्तक होना,वो बंगाल, जो की यहाँ से कोसों दूर है, वहां की चहल-पहल का एक छोटा सा नमूना, थोड़ी-थोड़ी भीड़ में बढ़ता कोलाहल, लोगों के बीच हँसी-ठहाके, बच्चों का बेफिक्र इधर-उधर दौड़ लगाना और वो गुब्बारे को देख कर अनायास ही रो पड़ना, छोटों का आदर के साथ बड़ों के पाँव छूना और बड़ों का भी उतने ही प्यार से उनके सर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देना, वो धीरे-धीरे आरती के बाद का धुंआ पंडाल में चारों ओर उड़ना और उसकी महकती खुशबु जैसे शरीर के हर कण-कण को भेदती हुई ह्रदय में प्रवेश कर रही हो, वो घंटी का पूरे ज़ोर से बजना जो की बदन की हर रुकावट को भेदती हुई मस्तिष्क के एक कोने में जा कर गूंजने लगती है, वो पंडित का अपने पारंपरिक तरीके के वस्त्र पहनना और पूरे एकाग्रता के साथ आरती में ध्यान लगा होना...यह सब पूजा पंडाल और उसके आस-पास के हाल-चाल थे |

थोड़ा आगे भड़ते ही पता चला की एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होने वाला है | हम भी अपने पैर जमा कर बैठ गए और कार्यक्रम का लुत्फ़ उठाया | अचानक से बैठे-बैठे ही यह ख्याल आया कि स्कूल या घर के कॉलोनी में हम भी जब कार्यक्रम दिया करते थे, तो अपनी बारी के इंतज़ार में दिल धक्-धक् करने लगता था | आज यहाँ जब छोटे-छोटे बच्चे जब अपना कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे थे तो सभी यादें पानी की एक तरंग बनकर पूरे शरीर को भिगो गई और मैं जैसे वहां खड़ा हुआ बस यह कह रहा हूँ..."अरे खत्म हो गया? ... ज़रा देखो यादों के कुछ और फव्वारे बाकी हों शायद..." लेकिन शायद यहीं उसका अंत था...
"अगर सभी यादें एक ही बार में लौट आएं तो उनका महत्त्व भी तो ख़त्म हो जाएगा ना ?"


इसके बाद मैं नैनो की दिशा में चल पड़ा..यानी बंगाल से गुजरात...FD-II QT ..में गुर्जरी [ गुजरात की असोसिएशन ] ने डांडिया नाईट का आयोजन किया था..मैं वैसे तो केवल देखने ही गया था पर जा कर अपने दोस्त के प्रस्ताव को मना ना कर सका | तो जोश में मैंने भी कुछ घंटे भर डांडिया तोडी | जिन लोगों ने इसे छोड़ा, उनके लिए मेरे ख्याल से दुर्भाग्य ही रहा | कमरे पे कंप्यूटर के सामने बैठकर आप सब कुछ तो नहीं पा सकते हैं ना? मैं आप लोगों से गुजारिश करता हूँ कि बाहर आ कर इन सब चीज़ों का भी आनंद लें..शायद आज से दो-तीन साल पहले जब हमारे कमरों पर कंप्यूटर नहीं हुआ करते थे तो यही सब छोटी-छोटी चीजें हमारी ज़िन्दगी को रंगीन बनाती थी, इसका महत्त्व समझाती थी...यह तो आपके ही ऊपर है कि आप भी इस बेरंग होती ज़िन्दगी में कुछ रंग भरना चाहते हैं कि नहीं ?

और उन लोगों के लिए जो कहते हैं कि आज की युवा पीढ़ी पश्चिमी संस्कृति से भ्रमित हो रही है, आप केवल एक दिन के लिए यहाँ आ कर देखिये | अगर आपको हम सब बिट्सियन ने ग़लत नहीं ठहरा दिया तो कम-स-कम मैं अपने आप को बिट्सियन कहलाने से शर्मा जाऊंगा..ये मेरा वादा है आपसे |

हम यहाँ पढ़ाई के साथ भी अपनी संस्कृति को बरकरार रखने की जितनी कोशिश करते हैं, शायद उतनी मेहनत तो उन्होंने भी नहीं की होगी जिन्होनें इस संस्कृति की नींव रखी है |


सभी बिट्सियन को मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई और आशा करता हूँ की वो इसी जोश के साथ हमारी अमूल्य संस्कृति को बरकरार रखने के लिए हमेशा ही कार्यरत रहेंगे |
-प्रतीक

रविवार, 5 अक्तूबर 2008

आत्महत्या, घोट और हम [जो घोटते नहीं हैं]

नमस्ते दोस्तों,
अचानक ही दिल में ख्याल आया और यह मैं आप लोगों के साथ बांटना चाहता हूँ | पिछले कुछ सालों में मैंने [और आपने भी] कॉलेजों में आत्महत्या [suicide] के बारे में काफ़ी कुछ सुना होगा, पढ़ा होगा | लेकिन हम में से काफ़ी कम लोगों ने ही उस पर ध्यान देने की कोशिश की होगी क्योंकि यह शायद हमारे आस-पास नहीं हुआ होगा और ना ही हम उस इंसान को पहचानते/जानते होंगे | खैर यह तो हर इंसान में एक दुर्गुण है [मैं भी शामिल हूँ जनाब] कि जब तक कोई बात आपसे या आपके जान पहचान वाले से ना हो तो उस पर ध्यान देना एक फिजूल बात हो जाती है |
मेरे ख़याल से तनाव दो कारणों से आप पर बढ़ता है :
1.) आप पढ़ाई में काफ़ी अच्छे हैं और आपको अपने स्तर को बरकरार रखना है | इस लिए आप पर काफ़ी दबाव पड़ रहा है |
2.) आप अपनी पढ़ाई सही से नहीं कर पा रहे हैं और आप अच्छा करना चाहते हैं तब भी आप पर काफ़ी दबाव आ सकता है |

अगर सभी आत्महत्याओं पर सोच-विचार किया जाए तो शायद ऊपर के दो कारण प्रमुख होंगे |
काफ़ी बार यह देखने में आया है कि एक विद्यार्थी अपनी हार को स्वीकार नहीं कर पता है और इस कारण भी वह एक दुखद कदम उठा लेता है |
आज अगर बिट्स की पढ़ाई पद्दति को देखें तो इसको कोसते हुए भी हम काफ़ी हद तक आत्महत्या जैसे चरम कदम से बचे हुए हैं | कारण ?
कारण साफ़ है | यहाँ इतने Tuts, Tests, Comprees, Evaluation Components, बॉस्म, ओएसिस, अपोजी इत्यादि होते हैं कि तनाव नाम की चिड़िया हमारे दिल-ओ-दिमाग से उड़ जाती है | कभी हम परिक्षाओं में फोड़ देते हैं और कभी ZUC से ही काम चलाना पड़ता है लेकिन हमें टेंशन किसी बात की नहीं होती है क्योंकि हम यह कहकर अपने आप को सांत्वना देते रहते हैं कि अभी तो टेस्ट-2, Quiz,Compree बाकी है तो कुछ ना कुछ तो कर ही लेंगे |
जैसा कि मैंने कहा कि हम आत्महत्या जैसी चीज़ से तो बच जाते हैं लेकिन इसमें भी कुछ कमी है | जैसे की हर सिक्के के दो पहलू होते हैं ठीक उसी तरह | हममें चीज़ों को, काम को टालने की बुरी आदत लग जाती है जो की भावी जीवन में जा कर हमारे लिए लाभकारी सिद्ध ना हो |
लेकिन अगर सम्पूर्ण नतीजे की बात करें तो आत्महत्या करने से तो अच्छा है कि हम कुछ काम को थोड़े दिनों के लिए टाल दें |
इस लेख से यह बात तो स्पष्ट होती है कि किसी चीज़ की हद आपकी सेहत और दूसरों के तनाव स्तर के लिए हानिकारक है | इसलिए सभी घोटुओं [बिट्स में जो दिल खोलकर केवल एक ही काम करते हैं, पढ़ना, उन्हें यह उपाधि दी गई है] से आग्रह है कि पढ़ाई और बाकी कार्यों का अच्छा संतुलन बनाएं ताकि लोग आत्महत्या जैसी चीज़ों से दूर ही रहे [अगर ऐसी कोई अप्रिय घटना घटती है तो इसके जिम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ़ आप ही होंगें] |
बाकी लोगों [जो घोटुओं की श्रेणी में नहीं आते हैं, मुझे पता है कोई अपने आपको घोट कहलवाना पसंद नहीं करता है] से यह कहना चाहता हूँ की आप [मेरे सहित] खुशनसीब हैं की कभी-कभी कम नम्बर ला कर आपने अपने अन्दर से वह तनाव को जड़ से निकाल फेंका है {और मुझे घोटुओं से काफ़ी सहानुभूति है कि वो अभी तक इस ज़बरदस्त अनुभव [की कम नम्बर ला कर भी शान से कहना - "अगली बार देखना, फोड़ के आऊंगा" (आऊँगी नहीं हो सकता है क्योंकि बिट्स में घोट लड़कियों के अलावा किसी और तरह की लड़कियों को प्रवेश नहीं मिलता है) ] और खुदकुशी जैसे कठोर राह की और अपने पैर नहीं बढ़ा रहे हैं |
तो फ़िर खुश रहिये, कभी फोड़िये, कभी पपेरों के सामने ZUC जाइये, लेकिन बस तनावमुक्त रहिये और पढ़ाई और दूसरी चीज़ों का अच्छा ताल-मेल बनाए रखिये [आख़िर घर वालों ने आपको इतनी दूर मुख्यतः पढने के लिए ही भेजा है] |
आप सभी को मेरी तरफ़ से हार्दिक शुभकामनाएं ||
-प्रतीक

रविवार, 28 सितंबर 2008

A-Z एक विद्युत अभियंता की ज़बानी

एक विद्युत अभियंता....अरे साहब इसका मतलब Electrical Engineer है, का A-Z कुछ इस तरह बदल गया है..
नींद में भी पूछेंगे तो सही जवाब मिलेगा...100 प्रतिशत..

A - Apple to Amplifier (परिवर्धक)
B - Bat/Ball to BJTs
C - Cat to Current (विद्युत धारा)
D - Dog to DANG !!!! (जी हाँ शायद आप लोगों को पता हो DANG के बारे में)
E - Eagle to Electric Field (विद्युत क्षेत्र)
F - Fan to Forward Bias (अग्र अभिनति)
G - Goat to Generators (उत्पादन-यन्त्र)
H - Horse to Hysteresis (शैथिल्य)
I - Ink to Inductor (प्रेरित्र)
J - Jam to Current Density(J) (विद्युत घनत्व)
K - Kite to KCL
L - Lotus to LEDs (प्रकाश उत्सर्जक डायोड)
M - Man to MOSFET (धातु आक्साइड अर्द्धचालक क्षेत्र प्रभावी ट्रांजिस्टर)
N - Nest to NMOS (N-धातु आक्साइड अर्द्धचालक)
O - Owl to Op-Amp(परिचालन परिवर्धक)
P - Pen to PMOS (P-धातु आक्साइड अर्द्धचालक)
Q - Queen to Charge(Q)
R - Rabbit to Resistance (प्रतिरोधक)
S- Ship to SPICE
T- Tomato to Tesla
U - Umbrella to Unity Gain (ऐक्य लाभ)
V - Van to Voltage (विद्युत दाब)
W - Watch to Wires, Wires and Wires (तार तार कर दिया)
X - Xylophone to Reactance(X)
Y - Yatch to Admittance(Y) (प्रवेशाज्ञा)
Z - Zebra to Impedance(Z) (प्रतिबाधा)

आभार : Maverickks
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रविवार, 21 सितंबर 2008

मैं MuE पॉज़िटिव हूँ

आज आपको दो ऐसे लोगों से मिलवाता हूँ जो 2 अलग-अलग बिमारियों से पीड़ित हैं :
पहला इंसान(A) HIV+ है और दूसरा(B) MuE का मारा MuE+ है :

उनके बीच एक वार्तालाप चल रही है :
A : क्या तुम्हें पता है, HIV होने के कारण क्या-क्या है ?
B : [थोड़ा हिचकिचाते हुए - भारतीय समाज की max जनता अभी भी इन सब मुद्दों के बारे में चुप्पी साधे हुए है] - हाँ हाँ पता है न..HIV होने के मुख्य कारण कुछ इस प्रकार हैं :
1.) Unprotective Sexual Relations
2.) Unsecure Blood Transfer
3.) From Mother to Baby
4.) Use of Unsterilized Syringes

A : भाई वाह यह तो काफ़ी अच्छी बात है की तुम्हे HIV के बारे में इतना कुछ पता है..

B : अच्छा HIV तो एक जगह है..क्या तुम्हें पता है मैं MuE+ कैसे हुआ..
A : [अचरज करते हुए] यह किस बिमारी का नाम है ??

B : [बहुत खुश हो के बताते हुए]...नहीं पता तो सुनो यह दर्द भरी कहानी...
MuE+ होने के मुख्य कारण कुछ इस प्रकार हैं :
1.) Unprotective MOS(exual) Relations
2.) Unsecure Discipline Transfer to A3/A8.
3.) From GHOT Senior to Ultra GHOT Junior
4.) Use of Unbiased Transistors

A : [दुःख जताते हुए] यह तो बहुत ही बुरा हुआ तुम्हारे साथ.
B : यह केवल मेरे साथ ही नहीं बल्कि तमाम 3rd year के EEE/EnI वालों के साथ हुआ है..
अगर अफ्रीका मैं हर 3 इंसान में से 1 इंसान HIV+ है तो यहाँ मालवीय भवन में हर 2 कमरों में से 1 MuE+ है..

A : यह तो बहुत ही बुरा हो रहा है तुम सभी लोगों के साथ..मुझे तुम लोगों से बहुत हमदर्दी है..
[B MuE के गुरु को याद करके सोच रहा है..यह देख HIV+ बन्दे की सहानुभूति भी हमारे साथ है...आख़िर हमने ऐसा कौन सा जुर्म किया है जो हमें MuE+ होने की सज़ा दे दी है..??.क्यों क्यों...]

A : अच्छा एक जानकारी और दे दूँ..
HIV इन सब कारणों से नहीं फैलता है :
1. Casual contacts,Shaking hands
2. Sharing utensils while eating together,Sharing of bathroom, toilet etc
3. Coughing, sneezing onto the face of any person..
4. Regular body tests...

B : अच्छा मैं भी एक जानकारी दे दूँ..
MuE इन सब कारणों से फैलता है :
1. Casual Chit-Chatting about MOS circuits..
2. Sharing computers of O-Lab...
3. Concentrating, sneaking into the MuE lectures every T/Th/Sat..
[includes extra class]
4. Regular MuE tuts/tests/labs/examinations..

A : अरे एक बात और..लोगों तक यह बात पहुँचा दो कि HIV+ भी आम लोगों कि तरह ही हैं..
और उन्हें बाकी लोगों की तरह प्यार और मोहब्बत मिलनी चाहिए..

B : मैं भी एक बात कहना चाहता हूँ कि MuE+ लोग आम लोगों की तरह नहीं हैं..
उन्हें बाकी लोगों से काफ़ी ज़्यादा प्यार,मोहब्बत और सांत्वना की ज़रूरत है..

A : अरे हाँ यह बिमारी कुछ सालों बाद AIDS में बदल जाती है जिसके बाद इंसान के बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है..

B : लेकिन MuE+ किसी और बिमारी में नहीं बदलती है...आदमी के बारे में अंदाजा सेमेस्टर
के शुरुआत में ही पता चल जाता है...इंसान को कुछ 4.5 महीनों में ही NC लग जाता है जो कि
मरने से भी बुरा है..फिलहाल..

इसी बिमारी(MuE+) को लेकर फिलहाल कुछ 100-120 बच्चे जी रहे हैं..कृपया इन सभी लोगों के लिए प्रार्थना करते रहिये..आख़िर ये भी हमारे समाज का ही हिस्सा है..कुछ महान लोगों की गलतियों को ये बेचारे बच्चे क्यों भुगतें???

N.B. - इस article का श्रेय मेरे अलावा मेरे कुछ wingies को भी जाता है..हम सभी के विचारों को मैंने अपने ब्लॉग के ज़रिये आप सभी तक पहुँचाया है..
अगर किसी को इस article से ठेस पहुँची हो तो मैं उसके लिए माफ़ी चाहता हूँ....यह बिल्कुल भी personal नहीं है..

अगले ब्लॉग तक circuit बनाते रहिये, bias करते रहिये, source को drain,drain को gate और gate को source से जोड़ते रहिये और सबसे पहले MuE+ रहिये.

**** अगर आप मेरा ब्लॉग regularly पढ़ते हैं तो अनुयायी-Followers में ख़ुद को add कर लें..
-प्रतीक

मंगलवार, 16 सितंबर 2008

बचाओ "कोई" तो बचाओ..

कल सुबह MuE का ट्यूट है और अभी सब कुछ लाइट लेने का मन कर रहा है और क्यों करे...
पढ़ के जाओ तो भी ZUC नहीं पढ़ के जाओ तो भी ZUC...आगे कुँआ पीछे खाई...
हे भगवान् कोई बचाओ MuE के इंस्ट्रक्टर से ....मैं भी पागल हूँ...भगवान् से कह रहा हूँ और आगे "कोई" लगा दिया..

MuE Fact फाइल :
1. यही एक कोर्स है जिसमें आप एक्जाम हॉल में सबसे ज़्यादा confidence के साथ जाते हैं और निकलते भी हैं..आख़िर क्यों नहीं ??? जब "ZUC" पक्का है तो क्या बाकी रहा...इसका मतलब MuE instills confidence in u...
2. इंस्ट्रक्टर चाहती है कि आप सेम भर MuE ही पढ़ें..बाकी हर कोर्स बकवास है..
3. इंस्ट्रक्टर का यह मानना है कि ज़िन्दगी में जिसने O-lab में 100-150 घंटे नहीं बिताए उसे मोक्ष कि प्राप्ति नहीं होगी..
4. आपकी ज़िन्दगी O-Lab के O से शुरू होकर O-Lab के O पर ही ख़त्म हो जाती है अगर आप EEE/EI में हों तो...zuc से शुरू हुई ज़िन्दगी zuc पे खत्म...
5. आगे अगर कोई कुछ जोड़ना चाहे तो आप से विशेष आग्रह है...जल्दी से जल्दी करें...

भगवान् "कोई" तो बचाए इस कोर्स से...
वो "कोई" और कोई नहीं पर ख़ुद हमारी इंस्ट्रक्टर ही है..
जय भवानी जय AG....
टाटा...चला मैं MuE पढने..
*एक बात बताऊँ....जब indic transliteration mein "MuE" type करके space मारते हैं तो "मुए" लिखा हुआ आता है..
how appropriate Mr.Google...hats off !!!!

-प्रतीक

सोमवार, 25 अगस्त 2008

गोवा से घर

तो अब आगे बढ़ते हैं | वहीँ से जहाँ से मैंने इस लड़ी को छोड़ा था |
ट्रेन कुछ 3 घंटे की देरी से गोवा पहुँची और हम 4 लोग शाम को 6 बजे कैम्पस पहुँच गए |
गोवा कैम्पस को तो बस चित्रों में ही देखा था |
पहली झलक में काफ़ी सुंदर लगा और वहीँ पर हॉस्टल में हमारे रहने का इंतजाम करवाया गया था |
चूँकि बिट्स गोवा नया बना था इसलिए हमे वहां के हॉस्टल यहाँ से ज़्यादा अच्छे लगे |

खैर अब बात करते हैं वहां के व्यवस्था की...

1. लोगों ने हमें पहले ही डरा दिया की "कृपया सापों से सावधान रहें, यहाँ नुक्कड़-नुक्कड़ पर खतरा है.."
एक बार तो यूँ लगा की जैसे वहां PS नहीं,डिस्कवरी चैनल की तरफ़ से कोई आदम ज़माने की खोज के
लिए आए हों और अब इन जानवरों के साथ रहने की आदत डालनी पड़ेगी |
वो बात अलग है की जिस जीव से हमें डरने को कहा गया था वो पूरे दो महीने हम आलसी पिलानी वालों
से मिलने ही नहीं आया और ना ही हमने कोई कोशिश की |
2. इसके बाद हमें वहां के 10:30 और 11:00 बजे का नियम/पाठ पढाया गया | हमें सख्ती से यह कहा गया कि
"जो आप 10:30 के बाद कैम्पस के बाहर रह गए, त्यों ही आप अपने बैंक एकाउंट खाली करवा देना और अगर आप 11:00 बजे के बाद हॉस्टल से बाहर रह गए तो, अपना दिमाग कमरे पर रख कर किसी बुद्धिजीवी से कुछ आधे-पौन घंटे का सत्संग सुनने पहुँच जाना | हमने कहा - "जो हुक्म मेरे आका" और जल्दी से वहां से निकल लिए |
3. इसके बाद खुशखबरी सुनाई गई कि मेस पूरे समय बंद रहेगा ( खुशखबरी इसलिए कि मेस "बंद" रहेगा पिलानी में दो साल एक ही मेस को झेलकर अच्छे-अच्छों के तोते उड़ जाते हैं ) | हमारा दाना-पानी IC में लिखा गया था जो कि हम पूरा करके सही सलामत वापस पिलानी पहुँच गए हैं - एक और खुशखबरी !!!!

कुछ ऐसे बंधनों के साथ हमने अपना PS का सफर शुरू किया....

PS-1 जैसा कि सुना था (अपने बड़े लोगों से - SENIORS) बिल्कुल वैसा ही रहा - आप समझ ही गए होंगे | अब कुछ बातें केवल समझने कि ही होती हैं कही नहीं जाती [:)] |
एक बात पक्की रही, PS Station से ज़्यादा मैंने वास्को,मडगाँव,पणजी और समुद्र तट पर समय गुजारी |

PS का काम था जाओ (बसों में रियायत के लिए झगड़ा करते हुए),दिखाओ (अपना चेहरा),लगाओ (थोड़ा दिमाग - कुछ ज़्यादा ही थोड़ा),मिलाओ (नए लोगों से हाथ),खाओ (Rs.3/- में डोसा),लाइब्रेरी जाओ (केवल सोने),सर उठाओ,पैर उठाओ,हाथ उठाओ,दिमाग मत उठाओ और वही के वहीँ किसी समुद्र तट की और रुखसत हो जाओ !!!!!!
तो आप समझ ही गए होंगे कि कैसा रहा हमारा PS-1 !!!!
आज लगता है कि और एक PS-1 होना चाहिए और फ़िर से गोवा में..अब क्या बताएँ,वो जगह ही ऐसी है |

खैर आपको बता दूँ कि मैंने कोल्वा,पालोलिम,मजोर्डा,कान्डोलिम,अगुआङा,अम्बोली,बायना,पणजिम,वास्को,मडगाँव और...
अब तो याद भी नहीं है सारे.इतनी जगह घूमी...
इन जगहों में से सबसे ज़्यादा पालोलिम,अम्बोली और वास्को पसंदीदा जगह रही जिन्हें अब केवल उन कैद लम्हों से ही याद रख पाता हूँ |

गोवा के अलावा मैं 2 बार मुंबई भी गया | ऑडिशंस देने - Indian Idol और Star Voice Of India के लिए | ये मेरे लिए पहला मौका था कि मैं इतने बड़े प्रोग्राम के लिए ऑडिशंस देने गया और मुंबई भी मैं पहली बार ही गया | एक बात पक्की समझ गई | आज अगर आपके पास केवल टैलेंट/गुण है तो आप कहीं के भी नहीं हैं - आपको आज पहुँच और किस्मत की भी बराबरी कि ज़रूरत है | मैं यह इसलिए नहीं कह रहा हूँ क्योंकि मैं वहां नहीं चुना गया, पर इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मैंने उस पल को जिया है जब जज ने केवल मेरे गाने के बोल सुनकर ही मुझे रूम से बाहर निकाल दिया | वो पल इतना बुरा लगने वाला पल था क्योंकि मैं 12 घंटे लगाकर गोवा से मुंबई आया और मुझे अपने आप को साबित करने के लिए 12 सेकंड्स भी नहीं मिले |
खैर संघर्ष ही ज़िन्दगी का नाम है और मैं भी इसी ज़िन्दगी का एक हिस्सा हूँ | आपको यह बता दूँ कि Star Voice of India में मैं दूसरे चरण में पहुँचने में कामयाब रहा जो कि मेरे इतने लंबे सफर कि एक छोटी से उपलब्धि ज़रूर रही | मुंबई में Essel World जैसी जगह में जा कर जीवन के एक अलग ही छोर में अपने आपको महसूस किया | मेरे साथ तपन और राम ने भी इस छोर को पकड़ा और उस जोश और होश का आनंद उठाया |

गोवा से जाते जाते मैं कुछ चीज़ों को कभी नहीं भुला पाया और ना ही शायद भुला पाऊंगा -
1. लोटा लेकर प्रकृति के बुलावे के लिए जाना और बैठने के बाद पता चलना कि नल में पानी नहीं है..
2. छाता खुलने से पहले ही भीग जाना और खुल जाने के बाद तपती धूप से बचना..
3 .झोपड़ी जाते वक्त जूते पहनना और वापस सलामत पहुँचने पर दोस्त को गलियाना कि - बेकार ही इतनी मेहनत की, वो सांप साला फ़िर से नज़र नहीं आया |
4. कभी-कभी केवल दूध और ब्रेड से ही खाना खाने का काम निकालना |
5. बारिश होने से आधे घंटे पहले ही रूम से बत्ती का गुल हो जाना |
6. इंस्टी बिल्डिंग के सामने बैठकर खूब टाइम-पास करना |
7. गूंजन मॉल (मल से मॉल हो गया है वो) कि क्रिकेट/टेनिस(शारापोवा)/यूँ ही काफ़ी खिचाई करना |
8. बस में १० जनों का बेसुरे स्वर में एक ही गाना गाना |
9. कैम्पस गेट के सामने खड़े हो कर घंटे भर "LIFT" माँगना और नहीं मिलने पर PS नहीं जाना |
10.वो प्राकृतिक सुन्दरता और सौम्यता जो कि अब हमसे कोसों दूर है |

अब कुछ छायाचित्र और बातें ही रह गई हैं जो यादें बनकर इस ज़हन में घर कर गई हैं...
क्या पता मैं फ़िर से उसी आजादी, उसी जोश,वही दोस्तों और उसी दिल के साथ ऐसे जन्नत का एहसास कर पाऊंगा या नहीं...

उन शानदार लम्हों को आपके साथ बांटते हुए मैं आप से आज्ञा लेता हूँ....
-प्रतीक